तू कुछ इस तरह से मिल मुझसे
ना वक्त की पाबंदियां हो,
ना ही कोई काम याद आए।
सुबह से शाम तक के लिए,
एक दिन तेरा मेरे नाम हो जाए।।
तू कुछ इस तरह से मिल मुझसे।
तेरे मेरे दरमियां कोई और ना आए।।
तेरे दिल की धड़कने बेताब हो,
मेरा भी सांसे तेरे लिए बेचैन हो,
बस कुछ ऐसी मदहोशियां हो,
लवों पर हमारे खामोशियां हो।
तू कुछ इस तरह से मिल मुझसे।
मेरे बेचैन से दिल को चैन आए।।
तू दरिया सा मेरे पास रहे,
और मुझे भी तेरी की प्यास रहे।
ना तुम रहो होश में,ना हम रहे,
हर एक पल हमारे लिए खास रहे।।
तू कुछ इस तरह से मिल मुझसे।।
तेरी बाहों मे दिल को सुकून आए।।
कांधे पे सिर हो हाथों मे हाथ हो।
मेरे दिल की,कुछ तेरे मन की बात हो
बैठे रहे रहे यू ही हम तेरे पहलू में,
सुबह से लेकर शाम तक बरसात हो।।
तू कुछ इस तरह से मिल मुझसे।
तेरी बाहों मे आकर मुझे कुछ याद ना आए।।
✍️चीनू गिरि....✍️
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