छबीन्द्र पथिक   (छवीन्द्र विद्यार्थी)
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Joined 4 September 2017


Joined 4 September 2017

भगवान धन्वंतरि ने ब्रह्मचर्य की महिमा का वर्णन करते हुए कहा है :
मृत्युव्याधिजरानाशि पीयूषं परमौषधम्।
सौख्यमूलं ब्रह्मचर्यं सत्यमेव वदाम्यहम्।।
'अकाल मृत्यु, अकाल वृद्धत्व, दुःख, रोग आदि का नाश करने के सभी उपायों में ब्रह्मचर्य का पालन सर्वश्रेष्ठ उपाय है। यह अमृत के समान सभी सुखों का मूल है यह मैं सत्य कहता हूँ।'

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देवों के देवत्व को सुरक्षित रखना यज्ञ है अर्थात् देवपूजा है। गाड़ी हमें सुख देती है, सुरक्षा देती है इसलिए देव है। गाड़ी की देखभाल करना जिससे कि वह जल्दी खराब न हो जाए, सुख देती रहे, उसका देवत्व बना रहे, यह यज्ञ है।
इसी प्रकार से अन्य शरीर आदि साधनों की देखभाल करने को यज्ञ समझना चाहिए उन्हें व्यभिचार आदि से नष्टभ्रष्ट नहीं करना चाहिए।

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यतोऽभ्युदयनिःश्रेयससिद्धिः स धर्मः ।(वैशे० १.१.२)

जिस आचरण के करने से संसार में उत्तम सुख समृद्धि और निःश्रेयस अर्थात् मोक्ष-सुख की प्राप्ति होती है, उसी का नाम धर्म है।"

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ବାସନ୍ତୀୟ ନବଶସ୍ୟେଷ୍ଟି ପର୍ବ ହୋଲି ର ହାର୍ଦିକ ଶୁଭକାମନା।

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स पर्यगात् शुक्रम् अकायम् अव्रणम् अस्नाविरम् शुद्धम् अपापविद्धम्। कविः मनीषी परिभूः स्वयंभूः याथातथ्यतः अर्थान् व्यदधात् शाश्वतीभ्यः समाभ्यः॥ (यजुर्वेद ४०, ८)

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अवश्यमेव भोक्तव्यं कृतं कर्म शुभाशुभम्।
ना भुक्तं क्षीयते कर्म कल्पकोटि शतैरपि।।

अर्थ: हर व्यक्ति को अपने अच्छे या बुरे कर्मों का फल अवश्य भोगना पड़ता है। बिना भोगे कर्म कभी नष्ट नहीं होता, चाहे करोड़ों कल्प बीत जाएं।

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ଯଦି ଖ୍ରୀଷ୍ଟ ମତ ସବୁଠାରୁ ଶ୍ରେଷ୍ଠ ତେବେ ଏହାର କେବଳ ଗୋଟିଏ ସିଦ୍ଧାନ୍ତ Officially ବିଶ୍ୱବାସୀଙ୍କୁ ଗ୍ରହଣ କରି ଦେଖାଅ ଯେମିତି ସନାତନ ହିନ୍ଦୁ ବୈଦିକ ଧର୍ମୀ ଯୋଗକୁ ଜାତିସଂଘରେ Officially 192 ଟି ଦେଶକୁ ଅତ୍ୟନ୍ତ ଆଦରର ସହ ସ୍ବୀକାର କରେଇ ୨୧ ଜୁନ କୁ ବିଶ୍ଵ ଯୋଗ ଦିବସ ଘୋଷଣା କରେଇଲେ।

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ଯେମିତି ଅଗ୍ନି କୁ ପାଣି ମାନିବା ଅଜ୍ଞାନ ଅଟେ, ସେମିତି ପଥର କୁ ଇଶ୍ଵର, ଦେବତା ମାନିବା ଅଜ୍ଞାନ ଅଟେ। ପଥର କୁ ପଥର, ଅଗ୍ନି କୁ ଅଗ୍ନି ମାନିବା ସତ୍ୟ ଜ୍ଞାନ ଅଟେ

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କମ୍ରେଡ୍, କମ୍ୟୁନିଷ୍ଟ, ବାମପନ୍ଥୀ ଆଦିବାସୀଙ୍କୁ ହିନ୍ଦୁ ନୁହନ୍ତି ବୋଲି ଯେଉଁ ମନ୍ତବ୍ୟ ଦେଉଛନ୍ତି ପ୍ରକୃତରେ ଆଦିବାସୀଙ୍କୁ ହିନ୍ଦୁ ସନାତନ ସଂସ୍କୃତି ରୁ ଏପରି ଦିବ୍ୟ, ପବିତ୍ର, ଶୁଦ୍ଧ, ସାତ୍ତ୍ୱିକ ବିଦ୍ୟା ଠାରୁ ଦୂରେଇ ରଖିବାର ଏକ ହୀନ ବିଚାର ଅଟେ। ମାନୁଛି ହିନ୍ଦୁ ମାନେ ତାଙ୍କର ପ୍ରକୃତ ଉପାସନା ପଦ୍ଧତି କୁ ପାସୋରି ଢଙ୍ଗ, ଆଡ଼ମ୍ବର, ପାଖଣ୍ଡରେ ଫସି ଯାଇଛନ୍ତି। କିନ୍ତୁ ଯେଉଁଦିନ ହିନ୍ଦୁ ସନାତନି ମୂର୍ତ୍ତି ପୂଜା, ଭୂତ ପ୍ରେତପୂଜା, ଆଦି ପାଖଣ୍ଡରୁ ବାହାରି ତାଙ୍କର ମୂଳ ଉପାସନା ପଦ୍ଧତି ଅର୍ଥାତ୍ ଅଷ୍ଟାଙ୍ଗ ଯୋଗ ଓ ପଞ୍ଚ ମହାଯଜ୍ଞ ର ସତ୍ୟ ସିଦ୍ଧାନ୍ତ କୁ ଗ୍ରହଣ କରନ୍ତି। ଭାରତକୁ କୌଣସି ଶକ୍ତି ବିଶ୍ଵ ଗୁରୁ ହେବାକୁ ରୋକି ପାରିବେ ନାହିଁ।

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प्रश्न: चर्च, मस्जिद, मन्दिर में जाकर प्रार्थना करना क्या यह धर्म है?
उत्तर : नहीं है।
प्रश्न: इसका क्या प्रमाण है?
उत्तर: यह सब शास्त्र में कहीं नहीं लिखा है कि यह धर्म है।
प्रश्न: तो धर्म क्या है?
उत्तर: गुटखा न खाना शराब ना पीना यह धर्म है।
प्रश्न: इसका क्या प्रमाण है?
उत्तर: इसका प्रमाण मनुस्मृति में है। मन को संयमित रखना धर्म है। गुटखा न खाना शराब न पीना यह मन को संयम रखने की क्रिया है। इससे हम स्वयं स्वस्थ रहेंगे। धन भी खर्च न होगा। स्वयं सुखी रहेंगे। स्वयं सुखी रहने से परिवार को भी सुखी रखेंगे। जो स्वयं सुखी हो और अन्य को सुखी रखें वह कर्म, गुण हीं धर्म।

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