Chavda Sachin  
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Joined 16 November 2019


Joined 16 November 2019
29 DEC 2021 AT 12:31

હું અહર્નિશ કૈંક ઝંખું છું સરસને,
જળનું સરનામું મળે તારી તરસને;
આ નહીં તો આવતા જન્મે મળીશું,
વીતતાં ક્યાં વાર લાગે છે વરસને?

- ડૉ. દિલીપ મોદી

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13 NOV 2020 AT 16:56

मैं नज़र से पी रहा हूँ ये समाँ बदल न जाए
न झुकाओ तुम निगाहें कहीं रात ढल न जाए

मिरे अश्क भी हैं इस में ये शराब उबल न जाए
मिरा जाम छूने वाले तिरा हाथ जल न जाए

अभी रात कुछ है बाक़ी न उठा नक़ाब साक़ी
तिरा रिंद गिरते गिरते कहीं फिर सँभल न जाए

मिरी ज़िंदगी के मालिक मिरे दिल पे हाथ रखना
तिरे आने की ख़ुशी में मिरा दम निकल न जाए

मुझे फूँकने से पहले मिरा दिल निकाल लेना
ये किसी की है अमानत मिरे साथ जल न जाए

- अनवर मिर्ज़ापुरी

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22 OCT 2020 AT 17:47


अमीरे-शहर कहता है जमाना मुझसे चलता है।
पर उसकी बात को सुनकर फ़किरे-दस्त हंसता है।
अजब काजल मेरी आंखो में तूने ये लगा डाला,
कोई चेहरा है कैसा भी मुझे सुंदर ही लगता है।
- राज कौशिक




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22 OCT 2020 AT 10:10

चामुंडा...
अकवकित गन असुर , चकित थर थरत चरा चर ,
थंभ भूमि भय थकित , लोल जल शायर लरथर ,
वात करत नह वहन , जंप गये सकल तटनि जल ,
विबुध वृंद भय विकल , मेरुगिरि भये सु खल भल ,
ब्रह्मांड अंड हलबल विपुल , झुंड , झुंड नर फेलि जर ,
चामुंड रकत भय मुंड शर , करन खंड असि तोलि कर

- काग बापु

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19 OCT 2020 AT 19:57


शबभर रहा ख्याल में तकिया फ़कीर का ।
दिन भर सुनाऊंगा तुझे किस्सा फ़कीर का।
हिलने लगे हैं तख्त उछलने लगे हैं ताज,
शाहों ने जब सुना कोई क़िस्सा फ़कीर का।

विजेन्द्र परवाज़

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13 OCT 2020 AT 10:25


वो जो मेरे करीब से हंसकर गुजर गए।
कुछ खास दोइस्तों के चेहरे भी उतर गए!

-राजेश रेड्डी

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11 OCT 2020 AT 21:19

कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया
बात निकली तो हर इक बात पे रोना आया

हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन को
क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया

किस लिए जीते हैं हम किस के लिए जीते हैं
बारहा ऐसे सवालात पे रोना आया

कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त
सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया

साहिर लुधियानवी

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8 OCT 2020 AT 16:41

ज़िंदगी ज़िंदा-दिली का है नाम
मुर्दा-दिल ख़ाक जिया करते हैं

- इमाम बख़्श बासिख़

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8 OCT 2020 AT 9:00

न वो इक़रार करता है न वो इंकार करता है
हमें फिर भी गुमाँ है वो हमीं से प्यार करता है

- हसन रिज़वी

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7 OCT 2020 AT 8:56

अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँ
अब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ

अनवर शऊर

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