तेरी नफ़रत में इस हद तक गुज़र गया हूं मैं,
कि हर हद हैरान है मेरी इस हद को देख कर।
अब फूलों से ज्यादा मुझे काटें पसंद है,
हर शक्श हैरान है इस नए शक्श को देख कर।
कि अंधेरे से मुझे अब डर नहीं लगता,
अपनों संग हो के भी अपना घर नही लगता,
मुझे हसी से ज्यादा अब आंसू पसंद हैं,
बस सांसे चल रही है पर मर गया हूं मैं,
तेरी नफ़रत में इस हद तक गुज़र गया हूं मैं।
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