उससे बिछड़ने की आखरी कोशिश भी नाकाम रही
वो जो शख्स अब मुझे कहीं दिखाई नहीं देता
हर किसी को मुझमे दिखता है।-
बारिश में उसके साथ भीगने की ख़्वाहिश
अफसोस! अधूरी रह गयी
पर असल दुख तो इस बात का है
अकेले भी भीगा जा सकता था,
मुझे ये ख्याल ही नहीं आया-
ज़िंदगी तेरे इम्तिहानो से डर कैसा !!
मेरा तो सबसे उम्दा किरदार ही विद्यार्थी है-
कोई तो है जिसने मेरे हक में दुआएँ पढ़ी है
ज़िंदगी पहले इतनी खुबसुरत कभी नहीं लगी।-
हम खुद को उन पर खर्चे जा रहे हैं
हम इश्क़ के बेहिसाब चर्चे चाह रहे हैं
जिंदगी है कि आज ही हिसाब चाहती है
और हम है कि जीने के लिए अरसे चाह रहे हैं-
वसंत के महीने में मुहब्बत ही दुख नहीं है
पेड़ों का कटना भी दर्द है, तकलीफ है़..-
संघर्ष व्यक्ति को 'आध्यात्मिक' बनाता है
और संघर्ष से बचने की इच्छा 'अंधविश्वासी '-
अजीब है ,
सिद्धार्थ का बुद्ध हो जाना
और उससे भी अजीब है !!
बुद्ध का कभी सिद्धार्थ नहीं हो पाना-
ना जाने कब दुनिया तुझे मेरी नज़र से देखेगी
खैर जब भी देखेगी अपना चैन-ओ-सुकून खो बेठेगी-