ज्ञात है मुझे यह अनावश्यक है
अक्षम्य है अनाधिकृत है
मेरे द्वारा तुम्हें दिया गया दंश
अधिकार है प्रणय है प्रसंग है
काल कवलित हो गया है संबंध
टूट गया है क्षण में था जो अनुबंध
स्मृतियों,विलाप में बचे हैं प्रतिबंध
उधर तुम्हारा क्रन्दन इधर मेरा द्वन्द
जानकर ही सब हुआ है असत्य है
मुट्ठीभर रक्त और धौंकनी सी श्वास
हाँफती पसलियाँ निस्तेज क़दम
जानकर भी केशव में शव बना हूँ
में पी जाना चाहता हूँ सरल सी मृत्यु
ओढ़ना चाहता हूँ एक मीठी सी नींद
तुझमें घुल जाने के लिये ही में
अब चाहता हूँ स्वयं से मुक्त होना
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