Chandrashekhar Rajeev   (Chandrashekhar...)
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अभी तो हमनें महफ़िल में कदम बस रखा हैं हल्ला मचाना तो अभी बाक़ी हैं जनाब।।।
Joined 10 September 2019


अभी तो हमनें महफ़िल में कदम बस रखा हैं हल्ला मचाना तो अभी बाक़ी हैं जनाब।।।
Joined 10 September 2019
11 MAY AT 20:42

अब नफरत सी हो उठी है ऐ दिल में ।
चेहरा देख के गुस्सा सा आता है अब ।।

दूर ही रहे तो अब ज्यादा अच्छा है ।
पास आते ही झगड़ा हो जाता है अब ।।

गुरूर से बढ़कर दिल में अब कुछ नहीं है ।
पास आते ही नजरें झुकना पड़ जाता है अब ।।

प्यार था तो था उसे ही कदर नहीं है तो ।
भीख मांगने को दिल नहीं चाहता है अब ।।

अब जितनी भी बातों का हिसाब करूं तो ।
पछतावे के सिवा कुछ नजर नहीं आता है अब ।।

जितनी भी वादे और यादें थी तो थी चंद्र ।
सब भूल जाने के सिवा कुछ नजर नहीं आता है अब ।।

वो दूर मै दूर सब दूर हो गए है अब ।
बस सब भूल जाने को ऐ दिल चाहता है अब ।।

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28 APR AT 9:03

जिंदगी में असली आनंद तो चंद्र !
प्रश्न को प्रश्न पुनः बना देने में आता है।

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26 MAR AT 20:40

कुछ लोग शक्ल से न सही ।
मगर दिल से वाकई में बहुत बदसूरत
होते है चंद्र ।

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11 MAR AT 11:16

जो जितने के लायक हो उसपे उतना ही खर्च करो
चंद्र !
चाहे वो आपका पैसा हो या आपका अपना वक्त ।।

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4 MAR AT 19:20

जो लोग हमें देख के अनदेखा किया करते है ।
उन लोगो से हम नफरत किया करते है ।।
प्यार की बात तो छोड़ो उनसे बात तक नही
किया करते है ।
और रही बात तुमरी हो या किसी और कि
जिससे एक बार नफ़रत हो जाएं
उससे गिला क्या उससे किसी बात पर कभी
सिलसिला भी नही किया करते है ।

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4 FEB AT 20:50

कुछ चेहरे अब मैं याद नहीं करता ।
जिसको भूल गया हूँ उससे बात नहीं करता ।।

भले अब वो मुझसे लाख कोशिशें कर ले ।
लेकिन अब मैं मिलने की फरियाद नहीं करता ।।

कुछ इज्जद विज्जद असूल है अब मेरे भी ।
हर बार में ही पलटी खाऊ ऐसा मै अब नही करता ।।

और वक्त बदल चुका है और साल भी गुर चुका है ।
कुछ बाते थी पुरानी जो अब मैं नहीं करता ।।

शुरुआत की नई सीढ़ी को चढ़ कर कल की बात नहीं करता ।
आज में अब मैं जीता हूँ पुरानी बातें अब मैं नहीं करता ।।

कुछ चेहरे अब मैं याद नहीं करता ।
जिसको भूल गया हूँ उससे अब मैं बात नहीं करता ।।

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3 FEB AT 21:19

वर्दे वीणा वरदानी ।
आप है माता सरस्वती ।
आप है ज्ञान का सागर ।
मधुर ध्यान जिसमें आगर ।
प्यार करुणा बहे दिल में ।
माता हो जिस रग रग में ।
वहां बहती है अमृत धारा ।
जिस कंठ सुर में हो वागीश्वरी ।
जो चाहे वो वाणी से गढ़ दे ।
जिसके कंठ में हो सरस्वती ।
सर्वपरि सर्वोपरि मां सरस्वती ।
जिसको वरदान दे मां सरस्वती ।
जिसकी तिल भर में झोली भर दे ।
जो वंदना करें हे देवी सरस्वती !
अब चंद्र वंदना करे हे मां वाग्देवी
सरस्वती हे महाश्वेता मां सरस्वती ।
आपको शत शत नमन हे सरस्वती !

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26 JAN AT 20:18

अब किसी से बाते करना जायज़ नहीं लगता चंद्र !
न ही किसी इंसान से और न ही अपने प्यार से ।।

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16 JAN AT 18:14

बर्बादी का एक पड़ाव पार कर चुके हैं ।
अभी हमें पूरा बर्बाद होना बाकी है चंद्र !

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15 JAN AT 18:53

वक्त लम्हों के साथ बया किया जाए तो अच्छा है ।
साथ नया है तो क्या हुआ फिर से भरोसा किया जाए तो अच्छा है ।।

सब एक जैसे नहीं होते पिछली बातों को भूला दिया जाए तो अच्छा है ।
ख्वाहिशें सोच के साथ रुख़ बदलती है इसे पूरी कर लिया जाए तो अच्छा है ।।

मानव है संसार से इससे जुड़ एक स्वरूप बना लिया जाए तो अच्छा है ।
भटकने से घुम हो जाते है रास्ते चलो एक हो लिया जाए तो अच्छा है ।।

कुछ पाने के लिए सब कुछ दफ्न नहीं किया जा सकता चलो कुछ उठा लिया जाए तो अच्छा है ।
पिछली यादों से निकल कर चंद्र एक नया रूप ले लिया जाए तो अच्छा है ।।

ख्वाहिशों को भूल कर के अब जिम्मेदारी का बीड़ा उठा लिया जाए तो अच्छा है ।
घुट घूट कर जीने से तो अच्छा खुद को खुद के सावक में रौद लिया जाए तो अब अच्छा है ।।

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