मुझे त्याग के साथ साथ समर्पण करना भी आता है चंद्र ।
लेकिन मैंने आत्मसम्मान के विरुद्ध समर्पण करना कभी नहीं सीखा ।।
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अगर कभी ऐसा हुआ जो ।
तुम मुझे धुनने निकले तो ।
आदतन ठहरा हुआ मिलूंगा वहीं ।
जहां तुमने मुझपे पूर्ण विराम लगाया था ।-
हर बार उसका मासूम चेहरा देख के मैं हार जाता हूँ चंद्र !
फिर सोचता हूँ प्यार में आज तक जीता ही कौन कब है।।
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औरतों के साथ पीना है तो चाय पियो ।
अगर हमारे साथ बैठना है तो शराब पिया करो ।।
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अब नफरत सी हो उठी है ऐ दिल में ।
चेहरा देख के गुस्सा सा आता है अब ।।
दूर ही रहे तो अब ज्यादा अच्छा है ।
पास आते ही झगड़ा हो जाता है अब ।।
गुरूर से बढ़कर दिल में अब कुछ नहीं है ।
पास आते ही नजरें झुकना पड़ जाता है अब ।।
प्यार था तो था उसे ही कदर नहीं है तो ।
भीख मांगने को दिल नहीं चाहता है अब ।।
अब जितनी भी बातों का हिसाब करूं तो ।
पछतावे के सिवा कुछ नजर नहीं आता है अब ।।
जितनी भी वादे और यादें थी तो थी चंद्र ।
सब भूल जाने के सिवा कुछ नजर नहीं आता है अब ।।
वो दूर मै दूर सब दूर हो गए है अब ।
बस सब भूल जाने को ऐ दिल चाहता है अब ।।-
जिंदगी में असली आनंद तो चंद्र !
प्रश्न को प्रश्न पुनः बना देने में आता है।
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कुछ लोग शक्ल से न सही ।
मगर दिल से वाकई में बहुत बदसूरत
होते है चंद्र ।
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जो जितने के लायक हो उसपे उतना ही खर्च करो
चंद्र !
चाहे वो आपका पैसा हो या आपका अपना वक्त ।।
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जो लोग हमें देख के अनदेखा किया करते है ।
उन लोगो से हम नफरत किया करते है ।।
प्यार की बात तो छोड़ो उनसे बात तक नही
किया करते है ।
और रही बात तुमरी हो या किसी और कि
जिससे एक बार नफ़रत हो जाएं
उससे गिला क्या उससे किसी बात पर कभी
सिलसिला भी नही किया करते है ।
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कुछ चेहरे अब मैं याद नहीं करता ।
जिसको भूल गया हूँ उससे बात नहीं करता ।।
भले अब वो मुझसे लाख कोशिशें कर ले ।
लेकिन अब मैं मिलने की फरियाद नहीं करता ।।
कुछ इज्जद विज्जद असूल है अब मेरे भी ।
हर बार में ही पलटी खाऊ ऐसा मै अब नही करता ।।
और वक्त बदल चुका है और साल भी गुर चुका है ।
कुछ बाते थी पुरानी जो अब मैं नहीं करता ।।
शुरुआत की नई सीढ़ी को चढ़ कर कल की बात नहीं करता ।
आज में अब मैं जीता हूँ पुरानी बातें अब मैं नहीं करता ।।
कुछ चेहरे अब मैं याद नहीं करता ।
जिसको भूल गया हूँ उससे अब मैं बात नहीं करता ।।-