कुतरी हुई पंखों वाली पंनछी हूं , दुनिया के हर ग़म को दिल में छुपा के रखी हूं , दुनिया में अकेली आई और अब भी अकेली हूं, क्या कहूं दुनिया के हर ग़म की सहेली हूं ।
जहां भी देखती हूं राख और धुंआ नजर आता है,मेरे सपनों का घरौंदा बिखरता सा नजर आता है , कैसे समेटुं अपने प्यारे से आसियाने को,समय रेत की भांति फिसलता सा नजर आता है।
हर लम्हा यादगार कर जाऊंगी तेरे दिल का करार बन जाऊंगी, बस एक बार जिंदगी में आने दे, तेरी बस तेरी बन जाऊंगी, तेरी जिंदगी में प्यार भर जाऊंगी, हर खुशियों वाली साम बन जाऊंगी, तू हर एक दर्द को भुला दे ,तेरे दिल की मैं दवा बन जाऊंगी।