22 JUL 2019 AT 13:05

बहुत संजीदगी में गजल नफरत की लिखी मैने।
मोहब्बत तो ये ज़माना मुझसे खूब करता है।(1)

किसी भोले से चेहरे पर मासूमियत लुटा देना।
ये सब राज खुलने पर बहुत मजबूर करता है।(2)

पूरा दौर एक अपना निभाकर के बिता देना ।
किसी को सिर्फ़ ज़ताना ही सिरमौर करता है।(3)

झूठे लहज़े से सहानूभूति यूँ अर्जित कर लेना।
बड़ी शालीनता से ज़माना इसको गौर करता है।(4)

खैर चन्द्रशेखर तू अभी सम्भाल ले खुदको।
तेरा इन्तजार कोई और नहीं पूरा दौर करता है।(5)
" चन्द्रशेखर वर्मा "

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