जिनसे सब खुश हैं उनसे रब खुश हैं।
यही सबब है कि वे बेसबब खुश हैं ।।
" चन्द्रशेखर वर्मा"-
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❣
इतवार की दोपहर थी और हम सोये घंटों तलक।
मेरे ख्वाब में बस दो जून की रोटियां आती रहीं।।
~ चन्द्रशेखर वर्मा~-
कुछ ख्वाइशें हैं जो हर रोज पूरी होती हैं,
एक मन है जिसे हर रोज मारना पड़ता है।
एक जिंदगी है जो खूबसूरत और हसीन है,
एक मुकद्दर है जिसे रोज संवरना पड़ता है।।
~ चन्द्रशेखर वर्मा~
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माँ पढ़ती है मेरे लिए दुआएँ हर पल,
मैं पढ़ता हूँ माँ की खुशियों की खातिर।
" चन्द्रशेखर वर्मा "-
कुछ अच्छी यादें साथ रहीं बाकी तो कुछ भी याद नहीं।
किरदार निखरता ये कैसे गर हम आते खैराबाद नहीं।।
" चन्द्रशेखर वर्मा "-
लिखते हैं नई गजलें गाते हैं नये तराने नये साल में।
उठाकर नये कदम सुधार करते हैं अपनी चाल में।।
" चन्द्रशेखर वर्मा "
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ये जिन्दगी का सफ़र है या कि दिसंबर का कोहरा,
जो रिफाक़त में है उसके सिवा कुछ दिखता ही नहीं।
~चन्द्रशेखर वर्मा ~-
महबूब से बातें हों या ढंग की पढ़ाई,
एक बार छूटी तो फिर वैसी नहीं हुईं।।
~चन्द्रशेखर वर्मा ~-
उसकी झीलों सी आँखों में तो डूबा हूँ मैं बरसों से।
हाल-ए-दिल को मैं अपने यूँ ही बेहाल लिखता हूँ।।
उसे मिलकर मैं एक गज़ल मखदूम करता हूँ।
मगर हर बार उसको मैं बस सोलह साल लिखता हूँ।।
" चन्द्रशेखर वर्मा "
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उसकी झीलों सी आँखों में तो डूबा हूँ मैं बरसों से।
हाल-ए-दिल को मैं अपने यूँ ही बेहाल लिखता हूँ।।
उसे मिलकर मैं एक गज़ल मखदूम करता हूँ।
मगर हर बार उसको मैं बस सोलह साल लिखता हूँ।।
" चन्द्रशेखर वर्मा "
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