टूटी हुई घड़ी बांधता हूँ मैं हाथ में,
वक़्त के कदमों की आवाज़ कानों में गूंजती बहुत है।-
Chandra Prakash Bishnoi
(चन्द्र प्रकाश)
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🖋Resonant!
🖋Peace over everything!
🖋Life without regret
🖋 Hindi
🖋English
🖋Urdu
मुझसे जुड़े ... read more
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Joined 20 January 2018
25 MAY 2018 AT 14:48
12 DEC 2018 AT 23:18
इश्क़ मोहब्बत के मु'आमलात में ज़रा पिछड़ गए थे हम,
तुमने हाथ पकड़ कर अब चलना सिखाया है।-
12 DEC 2018 AT 21:13
कहानियाँ किस्सों में हर रोज़ इज़ाफ़ा करती है
जिंदगी है या क़िताब, पन्ने पलटने में देर नहीं करती।-
24 AUG 2018 AT 12:29
आज़ादी की परिभाषा जल्दी सीखते है वो लोग
जिनके पैरों में बचपन से बेड़ियां हैं।-
18 AUG 2018 AT 23:15
हम मुस्कुराहट से ही काम चला लेते है,
मुखौटे तो खैर अब सियासत में उतर आये है।-
18 AUG 2018 AT 22:55
साँझ ढलने लगी है, सूरज डूबने चला है
कोई शख़्स क़लम काग़ज़ लेकर
खाली हो चुके बगीचे में बैठकर लिखने की शुरुआत कर रहा है।-
18 AUG 2018 AT 22:50
मैं शीशे की तरह टूट कर बिखर जाना चाहता हूँ
फिर तराश कर ख़ुद को हीरा बना सकूँ।-
2 AUG 2018 AT 17:06
ख़ुद को गलाया आतिश में तूने रात दिन,
सोने की तलाश में
सोना मिला,
पर सोने को चैन कहाँ!?-
1 AUG 2018 AT 23:01
गली में मकान बहुत थे, पर कोई घर न मिला
शायद हम उम्मीदें ऊँची लगाए बैठे थे।-