मैं किताब लिखूंगी,
मैं लिखूंगी तुम्हे और उसमें तुम्हें बेहिसाब लिखूंगी
कुछ पंक्तियां नहीं, पूरी एक कायनात लिखूंगी
तुम जो ये सोचते हो की मै भूल जाऊंगी,
तुम्हें लगता मै सीधी साधी लड़की हूं ,
लडूंगी नहीं,
मेरी जान
मैं इश्क में मिली हर दर्द का हिसाब लिखूंगी ।-
आसान नहीं था नजदीकिया में ,
दूरिया बनाए रखना।
हम हार बैठे दिल अपना उनकी सादगी पर,
लगा कर जुबा पर ताला इश्क का।-
Dil toota sambhla phir jaa kar kahin dil ko sabr aaya
Khushiyon mein sara jahan tha mere saath
Takleefon mein sirf mera khuda nazar aaya.-
उसकी बनने के लिए
उससे और खुद से रोज लर रही हूं।
फिर भी ना लाराई ख़तम हो रहा है ना रिस्ता.-
सुनो- मेरे पास कोई अपना नहीं है जिससे मैं अपना हर दुख सुख बटू, दिल की बात बता सकू। पर जब लगे कि तुम अकेले हो, मुझसे बात करना। परेशानी जैसी भी हो मैं तुम्हारे साथ रहूंगी। तुम बस अपना ख्याल रखना और होठों पर वो मुस्कान भी जो मेरे दिल को सुकून देती है।
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I'm really enjoying my privacy these days.
I don't care to be seen, heard or prove any points. Just living and elevating in silence and peace.-
ज़िन्दगी का हिसाब
कुछ रूखी सी यादें,
कुछ उलझी सुलझी बातें।
और कुछ सूखे हुए थे,
रखे फूल गुलाब के
रखा गिन- गिन अधूरे,
स्वप्नों को सहेज कर।
संभाला अधलीखे पन्ने,
खोल हर किताब के ।
शौक छोड़ा आस तोड़ा,
और बदल के रास्ता।
खर्च हो गयी जवानी,
बिखरे पत्ते ख्वाब के ।-
तुम बाँट सको मेरे कंधे पर
सर रखकर दुःख अपना,
मैं तब ही सही मायने में
अपना प्रेम सफल समझै !-
Kitni umeede thi, kitne khwab the Kitna kuch pana tha zindagi mai Aur hai kya?
Bas kuch tute hue rishte, bikhre hue Khwab aur hara hua dil Jise sambhalte sambhalte bhool gaya Zindagi jeena bhi hai.-