chandra fulara   (यादें एक नजर)
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hindi poetry writer
Joined 24 September 2022


hindi poetry writer
Joined 24 September 2022
2 OCT 2023 AT 0:56


नैनो से ठगे ठगे थे न जाने कब से
जिस्मो ने कारीगरी कर दी
बस इतनी सी बात ने
रिस्तों को सहज कर दी
आप से तुम हो गये
दूरियों की खामोशी कम हो गई
जो डगमगाये थे लफ्ज कहने को कभी
वो बस जिस्म पिघल कर कह गये

रात से ये रिस्ते न जाने क्यों अजब हो गये





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28 SEP 2023 AT 5:41

हर एक नये मोड़ से
वरना कौन जीतने देता है
आसानी से इस भीड़ से

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28 SEP 2023 AT 5:33

तब दुनिया अपनाती है
खुद की क़ीमत लाखों में रखो
वरना दुनिया कौड़ी के भाव लगाती है

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28 SEP 2023 AT 5:19

इन सागर की बूंदों को
रिसने दो इन को वेग से अपने
कुछ आराम मिलेगा टूटे मन के किनारों को

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19 SEP 2023 AT 4:59

मुझको हर शहर जलील कर के
राज तो हर किसी के है
पर हम चुप रहे मुहल्ले में भी

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19 SEP 2023 AT 4:53

वक़्त तो वो परिंदा है जो ऊँचाई तक ले जाता है
एक पल में जिमीदोष भी कर देता है
हो कोई भी बाहुबली, हर किसी पर लगाम रखता है
वक़्त वो बला है,जो सब को अपना गुलाम रखता है

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4 SEP 2023 AT 9:42

उस मिलन की शाम का
जहाँ हर रोज जलता था एक परवाना अनजान सा

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4 SEP 2023 AT 9:34

तेरे जाना
और
नैनों का जन्मों तक पतझड़ हो जाना

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4 SEP 2023 AT 9:29

हर इंतिहान से गुजरना होगा
तन को लोहा और मन को पत्थर करना होगा

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1 SEP 2023 AT 4:49

मुझे तेरे जाने के बाद
गुजरती है मेरी मैखाने में अब हर रात
तेरे अहमियत का एहसास हुआ मुझे
जिंदगी खाक होने के बाद

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