इल्ज़ामों के शहर में इल्ज़ाम नई हैं...
इस दुनियां के गुनाहों में एक सबसे बड़ा गुनाह वफ़ा को कही हैं....
अगर हैं गुनाह दिल तोड़ना💔
तो टूटा दिल लिए वफ़ा निभाने वाला हर शक़्स का गुनाह
माफी के काबिल नहीं हैं....-
#lovetowrite❣️
#I just write emotions of heart & thou... read more
सबूत और क्या पेश करूँ मैं
की मैं कमज़ोर नहीं....
ज़िन्दगी चुनी हैं मैंने
मुझसे बढ़कर कोई सबूत नहीं...-
लिख दूँ जो जज़्बात तो ये पन्ना आग ही आग हैं
छोड़ दूँ जो इसे खाली तो यहाँ बस राख ही राख हैं। जलना हर हाल में हैं इसे तो क्यों मैं अपने स्याही बर्बाद करूँ
औऱ इतनी हिम्मत नहीं की लिख दूँ
अभी चल रहे हैं जो जज़्बात मुझमें
क्योंकि टूटने की हिम्मत शब्दों में अब नहीं हैं मेरे पास
इसलिए पुराने लिखे जज़्बात को ही दोहरा देती
ज्यादा ना सही थोड़ा सुकून मै पा लेती ....!!!
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कभी मैं एक खुली किताब हूँ
कभी मैं उसमे छुपे गेहरे राज हूँ
यू तो पहुँच जाएगा तू आखरी पन्ने तक
फिर भी मैं एक सवाल हूँ...??-
वफा कर के भी यहा वफाये नही मिलती,
इश्क़ के अदालत मे कोई सफाई नहीं मिलती..!!
आंसुओ को मुस्कराह में बदल कर,
फस गई कुछ झूठ के दलदल में मैं
अपनी हसरतों से खुद ही ङर के
हों गई जिन्दा मैं थोङा सा मर के,
बङी आसानी से यहा लोग बदल भी जातें हैं,
झूठी हसीं लेकर हम सम्भल भी जातें...!!-
मेरा दिल तेरे नाम के किसी नाम पे भी नहीं धड़कता
मेरा दिल तो बस तेरे नाम से धड़कता हैं-
खुश हैं अगर दो इन्सान एक दूजें की बेवज़ह सी बातों से तो बातों के मतलब जरूरी हैं क्या,
अगर मिलती हैं ख़ुशी बेनाम रिश्तों से
तो रिश्तों में नाम जरूरी हैं क्या,
अगर खुश हैं वो आज में
तो उम्रों के वादे जरूरी हैं क्या,
चलो आओ जीते हैं जिन्दगी इसी पल में
बेवज़ह बेपरवाह ये ज़िन्दगी
ज़िन्दगी ऐसी ही तो अच्छी हैं...-
अब कोई खौफ़ हमे डरा नहीं सकता
अब कोई दर्द हमें रुला नहीं सकता
अब कोई जख्म इन आँखों को जगा नहीं सकता
जख्म तो बहोत दीये तुमने वो कल की बात थी,
मगर अब कोई इन आँखों से एक बूंद भी गिरा नहीं सकता
टूटी थी इस कदर खैर वो कल की बात थी,2
तुम दिल की बात करते हो यहाँ सीने से
अब कोई साँसे चुरा नहीं सकता....!!!
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तुम दिल की बात करते हो,हम जज़्बातों को दफ़ना आये
टूटा था दिल कई हिस्सों में,चाह कर भी हम उठा नहीं पाए
की थी कोशिश एक दफा,टूटे हिस्सो को समेट लूँ
हर टूटे हिस्से में वही एक चेहरा नज़र आया
हम हर टूटे हिस्सो को ठुकरा आये...!!-
परायो की बस्ती में बसर करते हैं
की परायो की बस्ती में बसर करते हैं
जहाँ आया शब्द अपना फिर
एक नई तलाश में निकलते हैं-