प्यार में इतनी कसमें खाते क्यू हो
अंजान लोगो से दिल लगाते क्यू हो
जब पता है मिलेगी तुम्हे बेवफाई
आंखो में इतने ख्वाब सजाते क्यों हो-
मुकद्दर में लिखा था जो वो सारा मिल गया होता,
तेरी आँखों का ही बस इक इशारा मिल गया होता,
कोई मतलब नहीं है इश्क़ में तलवारबाज़ी का,
अगर पतवार होती तो किनारा मिल गया होता !!— % &-
वो किसी और से बातें करती थी तो मैं जलता था...
मैंने तो इश्क किया था यार अब इतना तो बनता था...-
फ़रेब खा कर भी दिल को ख़्वाहिश-ए-तसल्ली रही...
हमने ग़ैरो को सोचा मगर ये अपनो की साजिश रही...।।-
उतरा न दिल में कोई उस दिलरुबा के बाद,
लब पे उसी का नाम है आता खुदा के बाद !!!
-
मैं ख़ुद हैरत में हूँ, क्या कर दिया है...??
तेरी ख़्वाहिश को दुनिया कर दिया है...!!!!-
हर इक मोड़ पर है धोखा हौसला रखिए
रिश्ते हों दिल के भी तो फासला रखिए।।-
बिछड़के उससे दिल कहीं और लगा ही नहीं
दिल में रहा मेरे और उसे पता ही नहीं !!
क्या करोगे अब खैरियत मेरी जानकर
जख़्म हरा आज भी है लेकिन भरा ही नहीं !!
-
वो बोलते रहे... हम सुनते रहे...
जवाब आंखों में था....
वो जुबान में ढूंढते रहे...-