लबों के तेरे जाम ले कर
कभी आ हसीं शाम ले कर-
Always stand by truth
I think "Faith is the best pol... read more
फ़ुरसत में बैठना कभी तुम्हें हम भी याद आयेंगे..
कुछ याद आने से पहले कुछ भुलाने के बाद आयेंगे..
ये हुस्न के दीवाने जो जिस्म के पीछे भाग रहे..
इत्तला कर दो इन्हें एकदिन सारे ही बर्बाद आयेंगे...
खुशीयों को छोड़ो जऱा ताल्लुक़ात बढ़ा लो गम से..
दस्तूर-ए-ज़िन्दगी है की दुःख,सुख के बाद आयेंगे..
अक्स मिटता जा रहा है उनका, इंतज़ार कब तक..
या मौला तु तो बता लौटकर कब वो नामुराद आयेंगे..
शहर में उनके 'चन्दन' आज मैं बदनाम हूँ तो क्या..
पहचान लूँ ज़रा खुद को फिर हम भी आबाद आयेंगे..-
धड़कने चलते चलते थम जाती है..
साँसे धीरे धीरे जम जाती है..
मैं चाहे कितना भी रोकूँ खुदको..
ये मेरी आँखें नम हो जाती है..
तेरी याद जब आती है, तेरी याद जब आती है....
कभी बेचैनी में राहत बन जाती है..
कभी तन्हाई में बेताब कर जाती है..
दिल बीचारा अभी नादान है मेरा..
तु सनम इसे घायल कर जाती है..
तेरी याद जब आती है, तेरी याद जब आती है..
मैं रूठ जाऊँ जो कभी आकर मनाती है..
मायूस चेहरे पर मेरे मुस्कान लाती है..
और कभी जो दर्द में होता हूँ मैं ग़र...
मुझे गुदगुदा कर हँसा जाती है..
तेरी याद जब आती है, तेरी याद जब आती है..-
अच्छा मैं बुलाऊँ कभी जो तुमको ...
तुम भागती-दौड़ती फिर अपने छत पे आओगी क्या?
ये आसमाँ में जो है उस चाँद को तो यूँ रोज देखा करते हैं हम रातों में....
चार दिवारी में जो छिपा है मुद्दतों से जो हमसे रूठा है...
हमें हमारे उस चाँद का एक झलक फिर दिखलाओगी क्या....?
मैं बुलाऊँ कभी जो तुमको..
तुम भागती-दौड़ती फिर अपने छत पे आओगी क्या?
यूँ चमन में फूलों का बहार खुब देखा है हमने..
तुम फूलों से भी हसीन अपना सूरत मुझे दिखाओगी क्या..?
इन रंग-बिरंगे गुलों की खुशबू से सारा गुलशन सुगन्धित है यहाँ...
तुम अपनी इश्क़ के इत्र से मेरे दिल का गुलज़ार महकाओगी क्या?
ये फूलों सा खिलता चेहरा तुम अपना हमें फिर से दिखलाओगी क्या?
मैं बुलाऊँ कभी जो तुमको..
तुम भागती-दौड़ती फिर अपने छत पे आओगी क्या?
यूँ झील सी निगाहों से नजरें हमने बहुत बार मिलाया मगर तुमसा इनमें बात नहीं...
तुम्हारे नशीली आँखों के आगे इस शराब की भी कोई औकात नही...
तुम्हारे बाद मयखानों में बैठकर जाम पर जाम हमने भी खुब लगाया है...
तुम अपने इश्क़ का नशा अपने आँखों से ही हमारे दिल तक पहुँचाओगी क्या...
शराब तो जैसे अब हमें चढ़ती ही नहीं तुम अपनी आँखों से मुझे दो-चार जाम फिर से पिलाओगी क्या...?
तुम अपने इश्क़ का स्वाद हमें फिर से थोडा़ चखाओगी क्या ...?
मैं बुलाऊँ कभी जो तुमको...
तुम भागती-दौड़ती फिर अपने छत पे आओगी क्या..?
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एक लड़की जुगनुओं से माँगती है रौशनी क्यों
एक लड़की जिस ने रौशन कर रखा है इस जहाँ को-
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प्रेम कभी भी
प्रेम को चाहने वालों
या प्रेम को पाने की
चाह रखने वालों को
न मिला है और
न कभी मिलेगा
क्योंकि प्रेम
पाने की वस्तु नहीं है
हाँ जिन्होंने प्रेम को जाना,
प्रेम को समझा
प्रेम को जिया हर एक पल
उन्हें प्रेम हमेशा मिला
उन के साथ-साथ
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