न जाने कौन सी किसकी लगी है बद्दुआ मुझको,
न जाने किसने मुझमें भर दिया है ये ज़हर अपना,
ये तन - मन टूट कर के खण्डहर सा हो गया है अब,
दिल-ए बर्बाद है, बर्बाद है अब ये शहर अपना,
हमारे सूरत-ए-हालात पर खाकर तरस देखो,
वो आए हैं हमारे पास बरसाने कहर अपना..!-
"आदर्श हमें जिस चरम बिंदु पर छोड़ता है, वहाँ से हम यथार्थ की यात्रा शुरू करते ... read more
"किसी की याद" में आँसू बहा कर देखना तुम भी,
तुम्हें फ़िर ये समझ आयेगा कि "क्यूँ लोग रोते हैं..!"-
मुझे आज़ाद रहना है हवाओं संग ही बहने दो,
ये दुनिया झूठ कहती है ये जो कहती है कहने दो |
अभी मेरे तज़ुर्बों में कमी जो तुमको दिखती है,
मैं सब कुछ सीख जाऊँगा मुझे दुख और सहने दो |
मेरी तक़दीर के पन्नों में बस तन्हाई लिखी है,
मेरी साँसें मुझे बक्शो मुझे ज़िंदा ही रहने दो |-
कहाँ जाऊँ कि दूर - दूर तक अंधेरा है,
तेरी यादों ने मुझको हर तरफ़ से घेरा है,
मैं तो करता हूँ तुझसे इश्क़ मगर,
तूने नज़रों को आज मुझसे जैसे फेरा है ||
तूने दिल से निकाला है मुझको,
मेरे दिल में अभी तलक तेरा बसेरा है,
मेरे साथी तू डर गया है इस ज़माने से,
पर मुझे देख इस शहर ने कैसे घेरा है ||
सबकी उम्मीदें टिकी हैं मुझ पर,
मेरी उम्मीदों पर पानी सभी ने फेरा है,
लोग कर देते हैं अपनी तरफ़ से मेरी हाँ,
मुझसे भी पूछे कोई फैसला क्या मेरा है ||-
तुम्हारे बिन गुज़ारा हो रहा है,
ये दिल पागल हमारा हो रहा है,
क़रीबी इन दिनों है मौत से ज्य़ादा,
मैं मर जाऊँ इशारा हो रहा है ||
तुम मुझको जानकर अंजान बनते हो,
रवैया इस तरह देखो तुम्हारा हो रहा है,
तुम्हारी एक झलक पाने को तरसे हैं,
तुम्हें देखे बिना मेरा गुज़ारा हो रहा है ||
ये दिल है शांत जब इतने दिनों से,
किसी का फ़िर इशारा हो रहा है,
तुम्हीं ने छोड़ा था मंझधार में 'चन्दन'
किसी का फ़िर सहारा हो रहा है ||-
चल रहे जो मंसूबे, है ख़बर मुझे सबकी,
जान कर के सब कुछ अंजान बना रहता हूँ |
ज़ख्म की थी गुंजाइश जो भी दे दिया तुमने,
फ़िर भी मैं तुम्हारा निगहबान बना रहता हूँ |
होश में नहीं हो तुम आजकल ये देखा है,
पर तुम्हारी ख़ातिर नादान बना रहता हूँ |-
हारा हुआ हूँ आज कभी जीत जाऊँगा,
साँसे चलेंगी जब तक तुमको ही चाहूँगा|
महसूस करोगे मुझे, तुम पास पाओगे,
बनके हवा शहर तुम्हारे लौट आऊँगा|
देखूँगा जी भर के तुम्हें अपनी निगाहों से,
फिर शहर से तुम्हारे मैं लौट जाऊँगा|
ग़र तुमको ना पसंद होगी मेरी ये हसरत,
कह देना एक बार, फिर कभी ना आऊँगा|
दिल में छुपा कर रखी है तस्वीर तुम्हारी,
उसको ही देख कर के मन को बहलाऊँगा|
कितनी भी भूलने की करो कोशिशें मुझे,
"चन्दन" हूँ तुम्हें याद तो मैं आ ही जाऊँगा|-
हुई जब शाम "मुझको याद आए तुम,"
"इन आँख में भरी बरसात" लाए तुम
"तुम्हारे हिज्र में" गुज़री कई रातें
"थमी जब साँस" उसके "बाद आए तुम..!"-
धूप हो या छाँव हो,
लगती कभी जब घाव हो,
वो एक नाम ज़ुबाँ पर मेरी आ ही जाता है,
आँचल में तेरे माँ मुझे सुकून आता है ||
दुनिया मुझे जब छोड़ दे,
मेरे पंख कोई तोड़ दे,
तेरी दुआओं का असर फ़िर रंग लाता है,
आँचल में तेरे माँ मुझे सुकून आता है ||
तू ज़िंदगी तू बंदगी,
तू चैन है तू देवता,
जिन शब्दों से नवाज़ूं वो भी हार जाता है,
आँचल में तेरे माँ मुझे सुकून आता है ||
हारा हूँ मैं ख़ुद से अभी,
जाऊँ कहाँ मुझको बता,
तेरी पनाहों में ही मुझको चैन आता है,
आँचल में तेरे माँ मुझे सुकून आता है ||-
यही ग़लती तुम मेरे सामने हर बार करते हो,
बचा कर मेरी नज़रों से, तुम आँखें चार करते हो,
तुम्हें लगता है हम हैं बेख़बर इन सारी बातों से,
तुम छुप कर के उसी इक शख्स का दीदार करते हो |
तुम्हारी आँखों में देखी है वो बेचैनी भी हमने,
किसी बेगाने का बेसब्री से इन्तिज़ार करते हो,
तुम्हारा दिल धड़कता है उसी के प्यार में अब तो,
ये हमने देखा है नजरों से तुम इज़हार करते हो |
चलो अच्छा हुआ ये दिन दिखाया तुमने ही मुझको,
चलो अच्छा हुआ अब सामने इक़रार करते हो,
बहुत बेबस हूँ इस हालात पर मैं क्या कहूँ 'चन्दन'
हम तुम पे मरते हैं पर ग़ैरों पे तुम यार मरते हो |-