Chandan Navik VINAMRA   (चन्दन नाविक 'विनम्र')
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Joined 28 September 2019


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Joined 28 September 2019
14 OCT AT 19:05

घनघोर घटा ने घेरा है,
हर ओर घटा ने घेरा है,
मैं तन्हा - तन्हा फिरता हूँ,
तन्हाई ने मुझको घेरा है||

हैं आसमान में कुछ बादल,
कुछ का धरती पर डेरा है ,
फिर झाँका मैंने अन्तर में ,
तन्हाई ने मुझको घेरा है ||

ये उमड़ रहे हैं जिस नभ में ,
मन का विचार वह मेरा है ,
है शान्त हृदय फिर भी मेरा ,
तन्हाई ने मुझको घेरा है ||

ये प्रलय प्रवाही बादल हैं ,
पर अंकुश इनपर मेरा है ,
है घोर निराशा इस मन में ,
तन्हाई ने मुझको घेरा है ||

मैं जाऊँ जहाँ ये जाते वहाँ,
मन का विनोद यह मेरा है,
पर आज रात्रि इस शून्य में भी,
तन्हाई ने मुझको घेरा है ||

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4 SEP AT 19:05

"रातों में जागते हैं हम याद में तुम्हारी,
तुमसे ही एक रिश्ता तुम जान हो हमारी..!"

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28 AUG AT 19:05

चलो ना आज फिर से एक नई शुरुआत करते हैं,
कहीं पर रुक गयी थी जो कभी, वो बात करते हैं,
लबों को छू लूँ मैं एक बार है दिल की यही ख्वाहिश,
पसंद आ जाए जो तुमको कुछ ऐसा ख़ास करते हैं..!

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23 AUG AT 19:05

मिलेंगे हम भी उनसे ज़िंदगी की राहों में,
अब जो बिछड़े हैं तो उनसे भी एक वायदा है,
ज़िंदगी ख़ाक हुई जिसकी राह देखने में,
ख़ाक पर आया ग़र वो शख्स तो क्या फ़ायदा है..!

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20 AUG AT 19:05

मोहब्बत में तमाशा हो गया है,
जला है दिल धुआँ सा हो गया है,
बड़ी उम्मीद थी उससे कि वो मेरा रहेगा,
मगर अब देखता हूँ वो किसी का हो गया है..!

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15 AUG AT 7:05

किसी की माँग उजड़ी है किसी ने सर कटाया है,
लगा दी जान की बाज़ी को फिर आज़ादी पाया है,
नासमझी में कहीं तुम अब कोई भी भूल मत करना,
कई मुद्दत तक तरसे हैं फिर इस लम्हे को पाया है ||

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12 AUG AT 19:05

किसी से "प्यार करने की कभी ना बद्दुआ लेना"
भले "मर जाना वीराने में तन्हा यूँ ही घुट - घुट कर..!"

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9 AUG AT 9:07

एक "धागे में लिपटा जो प्यार" है,
मेरी बहना "बहुत बेशुमार है..!"

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31 JUL AT 19:05

खो कर के तुम में तुमको जैसे संभालता था,
कोई संभालता है या ख़ुद संभल गए हो,

सोचा था इश्क़ में तुम्हें भगवान बनाएंगे,
पर सोच से मेरी तुम आगे निकल गए हो,

मनमानियाँ तुम्हारी अब और बढ़ गयी हैं,
ना जाने किस तरह के व्यसनों में ढल गए हो,

दिन रात आँखें बरसी सावन की बूँद बन कर,
क्या बात है कि 'चन्दन' इतना बदल गए हो |

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30 JUN AT 19:05

"घेरे हैं आसमान में" आज बादल कुछ ऐसे,
घेर लेती हैं "तन्हाइयों में तेरी यादें" मुझे जैसे,
"भटक जाती हैं कश्तियाँ बिन किनारों के" जैसे,
"भटक रहा हूँ ज़िंदगी में" मैं भी आजकल वैसे..!

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