मैं मुस्लिम हूँ, तू हिंदू है, हैं दोनो इंसान,
ला मैं तेरी गीता पढ़ लूँ, तू पढ़ ले क़ुरान,
अपने तो दिल में है दोस्त बस एक ही अरमान,
एक थाली में खाना खाए सारा हिन्दुस्तान.— % &-
पंथी को छाया नाही लगे फल लागे अति दूर!!
आज़ का सुविचार
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कर दे तू हुंकार
हिम्मत से हैं प्यार
तोड़ दे पैरो की बेरियां
चलने को हो तैयार !!
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@ चंदन की कलम-
हिंदी हमारी मां हैं
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हिंदी से हम हिन्दोस्ताँ हैं
हिंदी हमारी मां हैं
हिन्दोस्ताँ हमारी जां हैं
हिंदी से सुसज्जित हैं
हिन्दोस्ताँ की संस्कृति
हिंदी के बिना
अधूरी हमारी कृति
हिंदी से हम हिन्दोस्ताँ हैं
हिंदी हमारी मां हैं
सदियों से सुना जाता हैं
अपनत्व से हमारा हिन्दोस्ताँ हैं
सौंदर्य रूपी प्रकृति उपहार हैं
दृढ़ता सबमें अपार हैं
खुशनसीबी सबमें उदगार हैं
एक दूजे के सब मददगार हैं
हिंदी से हम हिन्दोस्ताँ हैं
हिंदी हमारी मां हैं !!
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इंसा हैं, इंसा के लिए लड़ता हैं,
ख़ुदी जां की परवाह नहीं करता हैं !!
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मज़बूती मैं ख़ुद का बता जाता हूं,
अनहोनी को भी नामंजूर करा आता हूं !-
अपनी मुफल्लिसी को भी वो दौलत मानता हैं,
जो हैं पास उसके ख़ुद की बदौलत मानता हैं !!-
अपने पाप के किस्से बताता कौन हैं ?
जहां का कर भला ख़ुद को छुपाता कौन हैं ?
@ चंदन की कलम-
आज़ का सुविचार
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तुम वक्त पर
समझते हो
इसलिए वक्त को
वफादार कहते हो !
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@ चंदन की कलम-
आज़ का सुविचार
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जब राह में ठेस लगे तो
कदम और तेज़ करना
चलते चलते यूं
रुक जाना नहीं, थक जाना नहीं !!
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@ चंदन की कलम-
आज़ का सुविचार
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मन का दीप जला
मन का अंधेरा मिटा
जूनून को सर चढ़ा
फ़िर ख़ुद कदम बढ़ा !
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@ चंदन की कलम-