Chandan Kumar   (चंदन कुमार "साहिल")
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Joined 18 May 2020


Joined 18 May 2020
31 MAY 2021 AT 0:04

वो जो तेरे दामन में खुशियां है
मेरे किरदार का एक हिस्सा है
अपने आँसुओं के लम्हों को याद तो करो
उसे खुशियों तक आने में बहुत किस्सा है

कल जिससे नफरत थी आज उसी से मोहब्बत है
यकीन अब इस बात पर नहीं कि उनको मुझसे शिकायत है
हम तो आज भी उसी रंग में है जिससे तुमने रंग दिया
अब तुम भी बताओ तेरा रंग किसके जैसा है... खैर
वो जो तेरे दामन में खुशियां है
मेरे किरदार का एक हिस्सा है ।।
हम सोचते थे कसमों के वादों के अपनी अहमियत है जिंदगी में
तुमने साबित कर दिया कि खूबसूरत लगते है ये बस कहानी में
पर आज भी तुम्हारे इर्द गिर्द मेरे ख्वाब मेरे ख्याल मेरे जबाब मेरे सवाल है
पर तेरी आँखों में जहां मेरी तस्वीर थी वहां आज कोई और बसा है .....खैर
वो जो तेरे दामन में खुशियां है
मेरे किरदार का एक हिस्सा है ।।
सफर कब शुरू हुआ कब अंत हुआ कुछ पता ही नहीं
न जाने की बात कह कर मिले तो थे पर वो तुम्हें अब याद ही नहीं
बस अब वक्त गुजरता है इधर गम में तन्हाई में उधर महफ़िल में
पर तुम खुश हो उन खुशियों में ये भी अच्छा है....
वो जो तेरे दामन में खुशियां है
मेरे किरदार का एक हिस्सा है
अपने आँसुओं के लम्हों को याद तो करो
उसे खुशियों तक आने में बहुत किस्सा है ।।
स्वरचित एवम अप्रकाशित©
चंदन कुमार भगत "साहिल"✍️

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31 MAY 2021 AT 0:04

वो जो तेरे दामन में खुशियां है
मेरे किरदार का एक हिस्सा है
अपने आँसुओं के लम्हों को याद तो करो
उसे खुशियों तक आने में बहुत किस्सा है

कल जिससे नफरत थी आज उसी से मोहब्बत है
यकीन अब इस बात पर नहीं कि उनको मुझसे शिकायत है
हम तो आज भी उसी रंग में है जिससे तुमने रंग दिया
अब तुम भी बताओ तेरा रंग किसके जैसा है... खैर
वो जो तेरे दामन में खुशियां है
मेरे किरदार का एक हिस्सा है ।।
हम सोचते थे कसमों के वादों के अपनी अहमियत है जिंदगी में
तुमने साबित कर दिया कि खूबसूरत लगते है ये बस कहानी में
पर आज भी तुम्हारे इर्द गिर्द मेरे ख्वाब मेरे ख्याल मेरे जबाब मेरे सवाल है
पर तेरी आँखों में जहां मेरी तस्वीर थी वहां आज कोई और बसा है .....खैर
वो जो तेरे दामन में खुशियां है
मेरे किरदार का एक हिस्सा है ।।
सफर कब शुरू हुआ कब अंत हुआ कुछ पता ही नहीं
न जाने की बात कह कर मिले तो थे पर वो तुम्हें अब याद ही नहीं
बस अब वक्त गुजरता है इधर गम में तन्हाई में उधर महफ़िल में
पर तुम खुश हो उन खुशियों में ये भी अच्छा है....
वो जो तेरे दामन में खुशियां है
मेरे किरदार का एक हिस्सा है
अपने आँसुओं के लम्हों को याद तो करो
उसे खुशियों तक आने में बहुत किस्सा है ।।
स्वरचित एवम अप्रकाशित©
चंदन कुमार भगत "साहिल"✍️

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17 MAY 2021 AT 23:50

मेरी कलम से .........✍️

तुम जा रहे हो जाओ किसने रोका है
मुझे पता था तु एक हवा का झोंका है
रात का ख्वाब थोड़ी न हकीकत है बस एक धोखा है
पर एक बात याद रखना ऐसा सिर्फ तुमने सोचा है
मेरे लिए तो वो ही इबादत वहीं पूजा है
चलो सफर में आगे बढ़ गए अच्छा है
पर देख कर चलना रास्ते में बहुत गढ़ा है
बहुत बार गिरे हो याद है या आज तुमने सब भुला है
हर बहकते कदम में मैंने तुमको टोका है
अंगुली पकड़ कर चलाया भी है तो आसूं भी पोछा है
तेरी खुशी के सिवा कुछ नहीं देखा है
पर एक बात तो है मेरी वजह से ही मिला तुमको आज ये तोहफा है
सुलझे हुए जिंदगी को जीना उन उसूलों के कील के सहारे जो मैंने तुम पर ठोका है
ठीक है
तुम जा रहे हो जाओ हमनें तुम्हें नहीं रोका है
मुझे पता था तू एक हवा का झोंका है ।।

मेरी कलम से ©✍️
चंदन कुमार "साहिल"

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13 MAY 2021 AT 19:58

मेरी कलम से ...........✍️

चलो अच्छा है ये भी देख लिए
जिसे कहते थे आस्था , संस्कार , सम्मान
बस एक लाश समझ के फेंक दिए
जिंदा थे हम पूछते थे सब
कैसे है , कहाँ है आइयेगा कब
अरमानों के पुलिंदे सजा कर आते थे
रिश्तेदारों के कतार लगे रहते थे
बात बात में मेरी तारीफें आम थी
अपनो ने यहीं एहसास कराया
कि मेरी वजह से खुशियां तमाम थी
मैं भी इसी जदोजहद में लगा था
कि वजूद बना रहे अपनी पहचान की
आज सोचता हूं क्या जिया मैं जिंदगी
पर ये सच भी है कि मुझे
उन रिश्तों और जिंदगी में बहुत गुमान थी
बस सफर तय कर रहा था इन्हीं के सहारे
पर एक दिन साँसे कर ली मुझसे किनारे
अचानक मैं सबके लिए बोझ बन गया
और सबने छोड़ दिया मुझे धारो में बेसहारे
फिर इंसानों में आने की जिद्द हमने अपने अंदर रोक लिए
चलो अच्छा है ये भी देख लिए
जिसे कहते थे आस्था , संस्कार , सम्मान
बस एक लाश समझ कर फेंक दिए ।।
स्वरचित ©✍️😓

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13 MAY 2021 AT 14:17

मेरी कलम से ......✍️

लोग कह रहे है गंगा में लाश बह रहा है
मुझे लगता है
मान्यता और विश्वास ढह रहा है
एक चिर निंद्रा में सोई देह मोक्ष की तलाश कर रहा है
जीवन का अपनापन और मृत्यु का परायापन एहसास कर रहा है
स्वार्थ रूपी रिश्तों में मानवता का निवास देख रहा है
अनमोल काया की कीमत मरने के बाद क्या मृत स्वास सोच रहा है
लोग कह रहे है गंगा में लाश बह रहा है
मुझे लगता है
मान्यता और विश्वास ढह रहा है ।।

स्वरचित© ✍️😓
चंदन कुमार भगत "साहिल"

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12 MAY 2021 AT 16:16

मेरी कलम से ......✍️🌹

कमाल की हो तुम
पता ही नहीं चलता कितने साल की हो तुम
प्यार का पैमाना तो इस कदर छलकता है तुममे
लगती हो पीछे से 16 आगे से 14 साल की हो तुम
बदन का छरहरापन लहरों का वेग लिए
उसपे अंगड़ाई का नशा वाकई बेमिसाल सी हो तुम
तेरी यादों का मखमली कारवां और उसका सुकून
खुद से बेगाना कर देने वाली एक ख्याल सी हो तुम
कमाल की हो तुम
पता ही नहीं चलता कितने साल की हो तुम 🌹।।

स्वरचित©✍️
चंदन कुमार भगत "साहिल"🌹🌟।।

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12 MAY 2021 AT 0:40

मेरी कलम से ....✍️

मैं मर जाऊं तो मेरे मौत का गम न करना
किराए का मकान छोड़ अपने घर में जाने
की मेरी खुशी कम न करना
मेरा वादा नहीं था यहां कोई सदा के लिए
मेरे जाने से आँखें नम न करना
रिश्तों का क्या है साँसे और आँखों पर टिकी है
कोई तेरा अपना है वहम न रखना
रोने वालों का कतार न हो जाने में दिक्कत होगी
इस मोह जाल से खुद को अलग ही रखना
मौत के बाद कौन अपना कौन पराया
याद करके मुझ पर तुम सब सितम न करना
मैं मर जाऊं तो मेरे मौत का गम न करना ।।
स्वरचित ©✍️
चंदन कुमार भगत "साहिल"🌟।।

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11 MAY 2021 AT 23:42

आप वहीं है न , जो 14 में आये थे फिर 19 में आये थे
वादें मैं भुला नहीं जो आप पोटली में लाये
याद है वो 15 लाख का वादा
और बोले थे तेल का दाम भी कर देंगे आधा
बेरोजगारी पर तो अच्छा भाषण दिए थे
हमको याद है आप शायद गरीबों को जीवन समर्पित किये थे
वो क्या काला धन या स्तन ऐसा कुछ एक मुद्दा था ना
विदेशों में जमा करने वाला कुछ बेहूदा था ना
उसका नाम उजागर करेंगे ऐसा कुछ इरादा था ना
खैर छोड़िए हम समझते है आपका दर्द
कैसे कर पाएंगे ये जब आप ही है पूंजीपतियों का हमदर्द
पर भ्रष्टाचार पर तो कुछ बोला ही जा सकता है
आपके कथन पर सच्चाई टटोला जा सकता है
याद है न इस बात को जेहन में आप ही लाये थे
वो पुराना क्या किया
रेल , तेल , मिल , अस्पताल , पानी , बिजली , जहाज
शिक्षा , इसी को बनाने में करता रहा समीक्षा
पर आपकी तारीफ इस बात पर होगी कि कुछ हाथों में ये सब बेच आये थे
ये अभी कोई बीमारी आई है और लोग मर रहे है
इसके लिए भी लोग आपको ही जिम्मेदार कर रहे है
जबकि आप तो लोगों को आत्मनिर्भर वाला पाठ पढ़ाये थे
बस एक बात समझ में नहीं आती आज तक
कहते थे भारत माँ के लाल है
फिर फ़क़ीर है झोला उठा कर चल देंगे ऐसा क्यों चिलाये थे
चलिए किसी बात के लिए आपको याद करेंगे या नहीं
आने वाले पीढ़ी को ये किस्सा याद रखेगा
कि एक बूढ़ा आदमी झूठ बोलना सिखलाए थे
आप वहीं है न जो 14 में आए थे फिर 19 में आए थे
स्वरचित©

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11 MAY 2021 AT 20:46

मेरी कलम से .......✍️

कोई इतना भी बेवफा हो सकता है
तुम्हें देखकर ये समझा जा सकता है
बात मैं महबूब की नहीं कर रहा
पर उसे यमदूत कहा जा सकता है
फरिश्ते की तरह आया था वो
पर फितरत से मरदूत कहा जा सकता है
सपनों को हथियार बनाकर सत्ता को हथियाया
हां उसे सपनों का सौदागर कहा जा सकता है
सांसें बेवक़्त बेवजह रुक जा रही है
इसे तेरा नाकामी समझा जा सकता है
नाखूनों में रंग डाल कर किस्मत सजाते फिर रहे हो
इस दर्द में तेरे साजिश को समझा जा सकता है
जिंदगी का सौदा हो रहा है खुलेआम सड़कों पर
मंच से तेरा बेफिक्री वाला आश्वासन का मतलब समझा जा सकता है
कोई इतना भी बेवफा हो सकता है
तुझे देखकर ये समझा जा सकता है ।✍️
स्वरचित✍️©
चंदन कुमार भगत 🌟।।

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15 JAN 2021 AT 14:59

मेरी कलम से ....✍️
ये कौन सा अहसास मेरे पास आया है
नई नई सी जिंदगी में ख्वाब लाया है

खिला खिला धूप है मौसम भी लाजबाब छाया है
ऐसा लग रहा है आज सदियों बाद जिंदगी गुनगुनाया है
ये कौन सा अहसास मेरे पास आया है

राहें रंगीन हो गई है बागों ने महकते गुल खिलाया है
आसमान में तितलियां और आज पंछी भी चहचाहया है
ये कौन सा अहसास मेरे पास आया है

हर कदम उम्मीदों से भरा हर सफर जवां लग रहा है
धड़कनों की बढ़ी हुई रफ़्तार को क्या कोई अपनाया है
ये कौन सा अहसास मेरे पास आया है

कल टुकड़ों में था आज पूनम का चांद बन गया है
बुझा बुझा सा चांद आज क्यों चमचमाया है
ये कौन सा अहसास मेरे पास आया है

चलो अब देखते है सफर में क्या है
हकीकत है या कोई ख्वाब आया है
ये कौन सा अहसास मेरे पास आया है ।।

स्वरचित©✍️
15 .01. 2021

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