सचमुच ...... प्रेम की अनुभूति होती हैसौंदर्य में नहीं रूह में भी नहीं जिस्मों में नहींप्रेम शुरू होता है पुस्तकों से पुस्तकों में। -
सचमुच ...... प्रेम की अनुभूति होती हैसौंदर्य में नहीं रूह में भी नहीं जिस्मों में नहींप्रेम शुरू होता है पुस्तकों से पुस्तकों में।
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शिव से मैं हूं शिव में है सब पा लिया मैंने सबकुछ चाहिए क्या अब! -
शिव से मैं हूं शिव में है सब पा लिया मैंने सबकुछ चाहिए क्या अब!
महादेव मेरे लिए भगवान नहीं है मेरे पिता समान है मेरे पिता है मैं उनसे बात करता हूं उनको महसूस करता हूं सुख दुख में सबकुछ में -
महादेव मेरे लिए भगवान नहीं है मेरे पिता समान है मेरे पिता है मैं उनसे बात करता हूं उनको महसूस करता हूं सुख दुख में सबकुछ में
आदमी की आदमियत से खौफ था मुझेशुक्र है ख़ुदा का किसी का खौफ नहीं मुझे। -
आदमी की आदमियत से खौफ था मुझेशुक्र है ख़ुदा का किसी का खौफ नहीं मुझे।
ग्रंथों को मान्यता देने का एक कारण ये भी है क्यूंकि ग्रंथ कहता हैकुछ भी सत्य नहीं मृत्यु के अलावा। -
ग्रंथों को मान्यता देने का एक कारण ये भी है क्यूंकि ग्रंथ कहता हैकुछ भी सत्य नहीं मृत्यु के अलावा।
जिसको समझ से भी ज्यादा समझने लगा थावो अब समझ में ही नहीं आती ! -
जिसको समझ से भी ज्यादा समझने लगा थावो अब समझ में ही नहीं आती !
प्रेमी, प्रेमिका, साथी,सहपाठी, अर्धांगिनी में प्रेम हो सकता है पर प्रेम की पराकाष्ठा मां पिताजी ही होते हैं। -
प्रेमी, प्रेमिका, साथी,सहपाठी, अर्धांगिनी में प्रेम हो सकता है पर प्रेम की पराकाष्ठा मां पिताजी ही होते हैं।
वक्त को ही पता है कब किस वक्तवक्त ने इश्क को हरा दिया। -
वक्त को ही पता है कब किस वक्तवक्त ने इश्क को हरा दिया।
नफ़रत,धोखा, इर्ष्या, क्रोध सब जीत जाता हैंहार सिर्फ प्रेम के नसीब में होती है। -
नफ़रत,धोखा, इर्ष्या, क्रोध सब जीत जाता हैंहार सिर्फ प्रेम के नसीब में होती है।
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