वक्त का शील शीला
ऐसा चल रहा
हर कोई एक दुसरे को
कुचलने मे लगे रहे
मानवता खत्म हो रहा
हर कोई देखावटी का मुखौटा ले
घुमता रहा-
कोमल कली चंचल हिरनी सी सबको मन भाती है
शांत मन चीत सुन्दर यौवन मन को भा जाती है
सहन कर सभी दुख दर्द रास सभी को आती है
मांग ले खुद के लिए कुछ तो स्वार्थी कहलाती है
सहन अत्याचार विद्रोह कर लेती तो चंडी़ बन कहलाती है
ना कर सकते उसके विद्रोह का सामना तो तुरन्त चरित्र पर वार कर देते है
अकेले स्त्री को उसके स्वतंत्रता को समाज स्वीकार ठीक से नही कर पाते है
नये दिशा नयी सोच मे आधुनिक युग की स्त्री के विचार सभी के हृदय को चुभ जाती है
नये युग मे सभी को स्त्री वही रुढिवादी वाली मनको भा जाती है-
हमने दिलो से रिश्ते निभाये
सब ने बेवकूफ समझा
अब जमाने को कौसे बताये
जनाब
दिमाग हमारे पास भी है
बस रिश्ते दिल से निभाना
पसन्द है हमे
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यूँ ही बीत जाती है जिन्दगी
रेत सी खत्म हो जाती है
दूसरो के
जलन भेद द्वेश से
कुछ लोग उल्झ जाते है
उन्ही उल्झनो मे उल्झ कर
अनमोल जिन्दगी के पलो को
यूँ ही गवा देते है-
समय बदलता गया
परिस्थियाँ बदलती गयी
तकनीकी बदलती रही
नये दौर का नया विचार
न बदला तो बस
रमणी की कहानी
कल भी भरी सभा मे अपमानीत हुई
आज भी भरे समाजमे नग्न हुई
हमारे समाज के विचारो
की एक नग्न चित्रण प्रस्तुती
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लोग मिले है मिलते रहे गे
जिन्दगी सफर है चलते रहे गे
हम मिले कच्ची उर्म मे मीत बनकर
अब उर्म भर ये दोस्ती निभाते रहे गे
उन रंगीन यादो को आँखो मे बसाये रहेगे
अपनी दोस्ती को यूही न तुम लोगो को भूलाने देगे-
कही खो गये हम
बदलते जिन्दगी के
पन्नो मे कही गुम गये हम
दुनियाँ के दुनियाँ दारी मे
गुम गये हम
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अधूरी आरजू अरमान
अधूरे रह गये
नये मोड़ से गुजरे
जिन्दगी के पन्ने
जो कभी पूरी ही न हुई
वो ख्वाहिश भी रह ग ई
लो अब तो जिन्दगी भी
अधूरी रह ग ई-
मत बाध मुझे जंजीरो मे
न बन्द कर मुझे पिजडे़ मे
न थोप अपनी मानसिकता
चलने दे उड़ने दे दौड़ने दे, मुझे
खुद की पहचान खोज लेने दे
चुम लेनेदे आकाश की बुलंदीयो को
पा लेनेदे अपना जहाँ सारा
बना लेनेदे खुद का वजुद
जीत लेने दे जहाँ सारा
Chandanita Rawat
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सुना था रिश्ते दिल से बनते है
समझा जब जमाने को तो
लगा रिश्ते दिमाग से बने लगे है
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