सुनो क्या मैं तुम्हे खो दूं ?
या अपने यादों में संजो दूं ।
सुनो कम से कम इतनी रहम करना
कि तुम्हे भी अपने आसुंओ में भिगों दूं।।-
बेफिक्र हो आजाद हो इन हवाओ में बहने दो ।
रोको नही दिलराज को अब लवो से कहने दो ।।
बीते दिनो के जख्म संग इस घाव को सहने दो ।
अश्को की बरषात में नगरात को ढ़हने दो ।।
आती हंसी हालात पे इस वक्त के आघात पे ।
खाली हथेली मुंद कर बस हाथ में रहने दो ।।
अफसोस क्युं अपराध क्या जग को अपवाद कहने दो ।
ऐ भरम जाना बिखर पर दो घड़ी रहने दो ।।
मैं तुम नही तुम मैं नही इस मैं को मय बनने दो ।
अब प्रेम में स्वाभिमान और अभिमान जंग ठनने दो ।।
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हमे तो पसंद उनका हर अंदाज है ।
और उन्हे तो हमारे होने पे ऐतराज है ।
उम्मीद न शिकवा ना दिल में कोई आस है
एकतरफा चाहत तो हर चाहत से खास है ।-
एक तरफा महोबत ठीक वैसे है
जैसे बिना रास्ते की मंजिल ।
यहां एक ही विकल्प है वापस लोटने
का जो समझ कर भी नही समझता है
कितना बेबस कितना नादान है ये दिल ।-
ऐ आईना तु उनको उन्ही में मेरा चेहरा दिखा दे।
कभी कभी वफा निभाना पड़ता है दुर जाके ।-
इक ख्वाब था जो तुमसे से ही होती पुरी थी ।
एक फैसला था जिसमे तेरी गवाही जरूरी थी ।
फैसला हो गया कि किसी के लायक नही हम जिन्दगी
शिकवा नही किसी से क्योंकि यही रब की मंजूरी थी ।
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अच्छा वक्त खुशबूओं की तरह और बुरा वक्त रेत
की तरह हाथो से निकल जाता है ।
कोशिशे किस्मत के बिना होते-होते एक दिन हार
कर टूट कर बिखर जाता है ।
ऐसा होता बहुत कम हैं जो किसी के जज्बात को
कोई और समझ पाता है ।
वरना काम निकलते ही इंसान भी परिंदो की
तरह उड़ जाता है ।
अकसर जो चाहत को ठुकराते हैं उन्हे भी किसी
से लगाव हो जाता है ।
और ख्वाबो में रहने वाला किसी की ख्वाबो का
मोहताज हो जाता है ।
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जो नियती ने तय कर रखा है हर हाल में होगा वही
भविष्य की फिक्र होनी ही चाहिए पर चिन्ता नही ।-
जो खफा होने का ही बहाना ढुढ़ते हो ।
वो लाख मनाने पर भी नही मानते ।
जिन्हे आदत हो नाम के रिश्ते ढ़ोने कि
वो जज्बातो के रिश्ते को नही जानते ।
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हर बार की तरह रास्ते सुनसान थे मेरे घर के
दर्द भरी चीखों को कोई सुन ही नही पाया ।-