Chanchala Singh   (@चंचला सिंह)
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Insta Id: @Feel__The__Writing
Joined 21 May 2020


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22 APR AT 19:25

ज़माने से भूले चेहरे जब से जिंदगी में फिर आने लगे है..
लगा यूं कि ज़हर डुबोया खंजर वो सीने पे चलाने लगे हैं..
चुभो के रौशनी जिन आंखों को कभी बर्बाद किया था
उन नज़रों को आबाद अंधेरे ही अब लुभाने लगे है... 

तार तार किया था जिन्होंने बेदर्दी से अपनेपन का भरम
दिखावे का प्यार लेकर वो ही करीब बहुत आने लगे हैं.. 
मेरे हर तन्हा रातों की गवाह है मेरी ख्वाहिशों की धज्जियाँ
अब तो ख़्वाब भी मेरे निगाहों में आने से घबराने लगें है..
नक़ाब झूठ के उतरे  थे जो  सुरत से उनके
सच्चाई की फिज़ा अब आइना दिखाने लगे हैं..
दर्द इतने दिए दुश्मन-ए-जाँ मुझको 
कि हम दर्द की ज़मीं पे ही आशियां बनाने लगे है..
©feel_The_Writing

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14 APR AT 15:07

जो कहते थे मेरे रोने पे कभी...
अश्क आंखों के तेरे मंजूर नहीं...
उसी ग़ाफ़िल ने ज़ख्म वो दिया
कि भरा अब तलक वो नासूर नही..!!
©Feel_The_writing

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10 APR AT 18:57


जिन्हें गुरूर था अपने दिल के दरिया होने पे..
मेरी प्यास से उलझे तो गुमाँ सब ख़ाक हो गए..!!
©Feel_The_writing 

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29 MAR AT 0:58

तपिश
ये जो तमन्नाएं है ना तेरी कि....
सुननी है मेरी धड़कनों की रफ्तार..
तो थाम लेना दिल को और..
रख लेना जरा खुद पे इख्तियार ..
क्युकी जब सुनोगे अपने 
नाम की बेताब धड़कने ...
तो रोक न पाओगे बेखुदी...
खो जायेगा चैन ओ करार..
दहकते इन सांसों की ...
तपिश से हो जाओगे बेकरार..
पिघल जायेंगे एहसास तेरे भी ...
होके ज़ार ज़ार...
©feel_The_Writing

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21 MAR AT 17:24

मेरी कविता✍🏻
पूछती है मेरी कविता मुझसे..
कौन हूं मैं,मेरा अस्तित्व है क्या..?
वर्णों के मेल से बनी हूं कोई वर्णावली या 
अनगिनत शब्दो से सजी हुई कोई शब्दमाला?
©feel_The_Writing

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25 FEB AT 0:02

तो सुनो ना,यूं ही कभी चलते चलते ,
जिंदगी के तन्हा राहों में,तेरे जेहन में ,
अगर जरा,भी मेरा खयाल आ जाए।।

तोड़ के सारे गलतफहमियों की दीवार,
छोड़ के तु–तू ,मै–मैं का अहंकार,
भुला के गिले शिकवे का गुब्बार,
बंद कर के अपनी आंखों को,
बस लेना हमे दिल से पुकार।।

तुम पाओगे हमे खड़े,वही उसी मोड़ पे,
जहां से चले आए थे तुम,बेवजह हमे छोड़ के।।

आज भी हम वही है और
एहसासों का सिलसिला वही है।।
दिल वही है और इसके,
जज्बातों का काफिला वही है।।

बदल गया है अगर तो,
नजरिया देखने का किसीका,
वरना तो कुछ भी बदला नही है....।।
🙏Feel_The_Writing🙏

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18 FEB AT 0:28

क्या जानो किस हद तक 
तेरी चाहत से गुजरे हम...!!

वक्त बिता सदियों जैसा और 
अब तक हैं उस एक पल में ठहरे हम..!!


©feel_The_Writing

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14 FEB AT 15:46

🙏🏻एक श्रद्धांजलि पुलवामा शहीदों के नाम🙏🏻

कैसे करूं बयान लफ्ज़ों में.. 
सिद्दत–ए–दर्द का फसाना..!!
जब  थर्राई थी रूह ज़मीन की ..
वो कलेजा आसमां का कांप जाना.
हो गया था धुआं धुआं सा
हर शहर हर ठिकाना..
था पसरा हुआ गलियों में 
कोहरा बेहद अंजाना..
कैसे करूं बयान लफ्ज़ों में..
सिद्दत–ए–दर्द का फसाना..!!
©feel_the_writing
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8 FEB AT 17:26

छुअन उसके एहसासों की 
हुस्न महताब कर गई..!!

फिर तो बिखरी ऐसी खुशबू की 
जिस्म इत्र ए गुलाब कर गई..!!
©feel_the_writing

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7 FEB AT 0:11

दो दिल मिल रहे थे
वो यादें भी क्या हसीन थे वो लम्हे भी दिलनशीन थे..
जब मौसम दिलों के बदल रहे थे..
दबे पांव कोई दे रहा था दस्तक जज़बातों पे...
और हौले हौले मासूम से दो दिल मिल रहे थे..!!

छाई थी हर तरफ फिज़ाओं में रंगीनियां...
लफ्ज़ बेजुबां हो चले थे,बढ़ने लगी थीं खामोशियां..
कुछ होश ही नहीं कि कब सुबह हो रही थी..
कब शाम ढल रहे थे..!!

तड़प रही थी ख्वाहिशें,बेचैन एहसास थें...
बेकरार था तन बदन,मचल रहें थे हसरतें ...
उनसे मिलन की प्यास में  मानो...
सोए सारे अरमां मचल रहे थे..!!

अनजान थें वो खुद मेरी बेखुदी से..
पर सुध बुध तो इधर हम भी गवां रहे थे..
उस दौर ए मुहब्बत की कोई आह तो न पूछो हमसे...
जब दिल दिल से मिल रहे थे,चमन में फुल खिल रहे थे
निगाहें निगाहों से मिल रहे थे,और गुमसुम मुलाकात हो रहे थे...
मौसम तो खुश्क था पर टूट के बरसात हो रहे थे...!!
©feel_The_Writing

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