तो सुनो ना,यूं ही कभी चलते चलते ,
जिंदगी के तन्हा राहों में,तेरे जेहन में ,
अगर जरा,भी मेरा खयाल आ जाए।।
तोड़ के सारे गलतफहमियों की दीवार,
छोड़ के तु–तू ,मै–मैं का अहंकार,
भुला के गिले शिकवे का गुब्बार,
बंद कर के अपनी आंखों को,
बस लेना हमे दिल से पुकार।।
तुम पाओगे हमे खड़े,वही उसी मोड़ पे,
जहां से चले आए थे तुम,बेवजह हमे छोड़ के।।
आज भी हम वही है और
एहसासों का सिलसिला वही है।।
दिल वही है और इसके,
जज्बातों का काफिला वही है।।
बदल गया है अगर तो,
नजरिया देखने का किसीका,
वरना तो कुछ भी बदला नही है....।।
🙏Feel_The_Writing🙏
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