जाते हो हनुमान लला,
शीघ्र सिया सुध लाना,
है आशीष सदा तुम पर मेरा,
राह में ना घबराना,
जाते हो हनुमान लला,
शीघ्र सिया सुध लाना,
सिया बिन व्याकुल राम यहाँ पर,
मिलते ही बतलाना,
समझ ना पाया दानवी माया,
दूर करेगी सीय की काया,
थोड़ी सी बस भूल के कारण,
मुझे पड़ा पछताना,
जाते हो हनुमान लला,
शीघ्र सिया सुध लाना,
सोच के हाल बेहाल है मेरा
किस हाल में होगी, मेरी सिया,
रह रह कर तकती होगी राह,
राम मेरे कब आयेंगे,
ले जाओ संकेत कोई
मिलते ही दिखलाना,
पुत्र मेरे तुम परम भक्त हो,
ये विश्वाश दिलाना
जाते हो हनुमान लला,
शीघ्र सिया सुध लाना।
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लेखक व कवि बनने के लिये क का ज्ञान चाहिए लेकिन मुझे "क" का ही ज्ञान ... read more
दुल्हन मतलब जो दूर ना हो
ससुराल के उलहन से।
दूल्हा जिसे रोज दूर जाना पड़े
जोड़ने के लिये चूल्हा(रोजी रोटी)-
राम
र+आ+म
रक्त+आत्मा+मस्तिष्क ।
There is no sense
Without Blood, soul and mind.
अर्थात राम जीवन है।-
छोड दो उस चमन को जो दुर्गंध लिये है,
कुदरत ने सुंदर दिया तुम्हे हिय है।
है नारी सती अन्सुईया का द्योतक,
जिसके हृदय सिर्फ रहना चाहिये पिय है।-
इस तरह जीओ जहाँ में
रौशन सवेरा हो जाये,
सब कुछ लागे "अपना अपना" ,
ये "तेरा मेरा" खो जाये।-
चाँद के संग दिखा तारा,
कुछ अनोखे अंदाज में,
जैसे चाँद चंदन कर के निकला हो अंदाज में
जैसे तारा निकला हो चाँद के आवाज पे।
जैसे तारा निकला हो चाँद के तलाश में ।
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तारीफों के पूल बांधना सीख ना पाया,
मैं चंचल मन रहा भटकता किसी गली में,
किसी शहर के काव्य मंच पर
आज तलक मैं दिख ना पाया।-
🇮🇳 शीर्षक: आजादी और हम🇮🇳
🇮🇳"खून बहा तो थी मिली आजादी,
अस्मत लूटी थी माँ बहनों की,
खून के आँसू रोये थे हम ,
कंटक बिस्तर पर सोये थे,
क्या क्या दिन ना देख देखकर
इस आजादी के बीज बोये थे"।🇮🇳
🇮🇳परिणाम सुखद बन आजाद हुए हम।
गोरों को विद्रोह बिगुल से ,
भागने पर मजबूर किया,
अफसोस मगर माँ के बेटों ने,
इसी विद्रोह की आड़ तले,
खुद को थे कर वो प्रताड़ चले
आपस में मिलकर रह ना सके
आजादी को शर्मसार किया
भारत माँ के बेटे ने,
माँ से ये कैसा प्यार किया।🇮🇳
एक स्याह भरी काली राते,
भाई भाई की परस्पर घाते,
आज भी हमसे भुलाए ना जाते।
भारत के मानचीत्र में,
पकिस्तान को संग दिखाये नही जाते।🦀
क्रमश: आगे भी जारी है:::::::::
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मोह लगाया मोहन से तो,
प्रेमातुर मन चंचल हो गया,
रास लगाया राम प्रभू से,
चंचल मन मर्यादित हो गया।
राम कृष्ण में मय जब हो गया,
प्रेम की मर्यादा फिर जाना ।
प्रेमभक्ति की शक्ति जाना।
जीवन की सुक्ति फिर जाना,
जीने की उक्ति फिर जाना।-
तुम नजर में उतर भी जाओ तो क्या?
मै भी तो नजर में तेरे उतरना चाहिये,
तुम नजर से उतर भी जाओ तो क्या?
नजर तेरी मुझे उतरने भी देना चाहिये।
गहरे समंदर में गर तैराक को डूबना है,
तो तैरना भूल जाना चाहिये,
गर तैरना है तो डूबना भूल जाना चाहिये,
या तो अश्क बहने मत दिजीये,
बह जाये तो कुछ कहने मत दिजीये।
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