Chanchal Chaturvedi  
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Joined 5 February 2019


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14 DEC 2021 AT 11:26

ये जानना जरुरी क्या
मैं क्या हूँ,
मैं कौन हूँ तुम्हारी....
क्या सिर्फ ये जानना
काफी नहीं मैं जो हूँ,
जैसी हूँ,बस
हूँ तुम्हारी.....

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26 NOV 2021 AT 18:16

मेरी नज्मे भी लड़कियों सी हैं
जैसे लड़कियां मांग में किसी के
नाम का सिंदूर भारते ही सुहागन हो जाती है....
मेरी नज्मो को भी तुम जो नज़रो
से छू कर होंठों से गुनगुना लेते हो
तो मेरी नज्मे भी तुम्हारी सुहागन
हो जाती है....

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29 AUG 2021 AT 21:28

ज़िन्दगी में अक्सर जो हम
नहीं चाहते वो होता है.......
लेकिन ज़िन्दगी में खुश
रहना है अगर तो......
ज़िन्दगी में जो हो उसे ही
शिद्दत से चाहना होता है.....

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18 JAN 2022 AT 19:39

मैने लिखा जो मेरी नज्मो में मेरा
वो खूबसूरत संसार हो तुम....
उस संसार में सारे जहाँ का प्यार हो तुम....
कभी ख़त्म न होने वाला मेरा शिद्दत
से किया गया इंतज़ार हो तुम....
जीत कर भी जिसे पाया नहीं
मेरी वो हार हो तुम....
मेरे लबों पर इंकार में छुपा इज़हार हो तुम.....
घर में गूंजे जो मेरे पैरो में बंधी
पायल की झंकार हो तुम....
बेकारारी में जो आये वो करार हो तुम.....
मेरे पतझड़ से मन केे मौसम
को बदलने वाले मौसम-ए-बहार हो तुम......
मेरा पहला-पहला और मेरा
आखिरी प्यार भी यार हो तुम....

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16 JAN 2022 AT 14:13

ऊपर वाले ने कहाँ किसी में फर्क किया है....
उसने तो वो सब कुछ जो उसने बनाया वो सबको दिया है.....
हँसी केे लिए ज़माने भर की दौलतो की जरुरत नहीं होती......
वरना गरीबों को हॕसी तो छोड़िये जनाब मुस्कुराहटे भी मयस्सर नहीं होती.....
देने वाले ने तो सूरज की रौशनी,चाँद की शीतलता,धरा पर पड़ती बूंदों
की सौंधी ख़ुशबू सबको बराबर
ही दिया है......
खूबसूरती कम न थी इस जहाँ की, मगर ऊंच-नीच,अमीर-गरीब की कभी न
ख़त्म होने वाली खाई बना कर इस
दुनिया को हमने ही बर्बाद किया है........
ऊपर वाले ने कहाँ किसी में फर्क किया है....

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10 JAN 2022 AT 21:20

मसला ये नहीं की ज़िंदगी
में मसले बहुत हैं.....
मसले तो सबके
अपने-अपने बहुत हैं....
मसला तो ये है की मेरे मसले
सुलझते कम उलझते बहुत है.....

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9 JAN 2022 AT 12:56

ये मेरी दुआओ का ही हैं असर जिसने
मुझे तबाह कर दिया.......
कि जो तेरी ख़ुशी की फरियाद मैंने
कर के मुझसे से इश्क़ तूने मुझे ही
बर्बाद कर दिया.....

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3 JAN 2022 AT 13:08

बहुत खूबसूरत है ये शहर,मगर मेरा वो गाँव मुझे बहुत याद आता है
यूँ तो सब कुछ अच्छा है यहाँ बस मेरे गाँव जैसा नही है
वैसे यहाँ माशीने बहुत सी है वक़्त बचाने की खातिर फिर भी अजीब ये है कि यहाँ किसी के लिए किसी के पास वक़्त ही नहीं है
तब मेरा वो गाँव मुझे बहुत याद आता है
सार्दियाँ यहाँ भी वैसी ही है मेरे गाँव जैसी,खरीदे मैने भी है खूबसूरत और रंग-बिरंगे गरम कपडे,पर इन बाजारू कपडो में वो माँ के हाँथों से बने स्वेटर की छुअन और प्यार भरे गरमाहाट का एहसास कहाँ मिल पाता है
तब मेरा वो गाँव मुझे बहुत याद आता है
बड़े बड़े होटलों में खाये है बहुत ज़ायेकदार खाने अब शहरों के कोने-कोने ढूंढते फिरते है मगर वो मिट्टी के चुल्हे पर बने खाने का स्वाद कहीं मीलता ही नही है
आज कल इंटरनेट की दुनियां मे किस्से कहाँनियो की कोई कमी नही है पर बचपन में जब हम अपना नाम भी ठीक से नही ले पाते थे तबकी नानी दादी से सुनी कहाँनियों से मिली सिख तमाम उम्र भूलते ही नहीं है
तब मेरा वो गाँव मुझे बहुत याद आता है
यूँ तो गूगल हमें देश-विदेश और जाने किस-किस का इतिहास,भूगोल बताता है लेकिन हमारे बुजूर्गोे ने ज़िन्दगी के तजूर्बे से जीने का जो हुनर हमें सिखाया है गूगल ये हुनर कहाँ सिखता है
तब मेरा वो गाँव मुझे बहुत याद आता है
बहुत खूबसूरत है ये शहर,मगर मेरा वो गाँव मुझे बहुत याद आता है

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26 DEC 2021 AT 20:59

हर एक हर्फ के साथ घुल कर
पन्ना दर पन्ना बिखरने का
एहसास ही कुछ अलग होता है.......
शायद किताबों वाले इश्क का
एहसास कुछ ऐसा ही होता है.......

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20 DEC 2021 AT 19:45

वो मोहब्बत जिसे तुम पैरो की बेड़ियां कहते हो....
उन बेड़ियो से तुम आज़ाद हो....
हाँ,हाँ कुछ शर्ते तो है अगर पूरा कर सको तो तुम आज़ाद हो....
यक़ीनान तुम मुझे चंद लम्हों में भूल ही जाओगे....
मगर खुद को को मेरी यादों में आने से रोक सको तो तुम आज़ाद हो....
बेशक अपनी ज़िंदगी से निकालने हक़ है तुम्हें पर मेरे दिल से भी खुद को निकाल सको तो तुम आज़ाद हो....


ये कविता मेरी किताब चंचल मन से.....इस कविता की आगे लाइन पढने के लिए सर्च करे Chanchal Mann by Chanchal Chaturvedi.....available on Amazon & Flipkart

पढ़ कर बताइयेगा जरूर कैसा लगा.....इंतज़ार रहेगा आप सब की प्रतिकिृया का....😊

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