थामकर हाथ तूने मेरा प्यार करना सिखाया था
भूला के दुख सारे तूने मुस्कुराना सिखाया था
क्या खता थी मेरी की जा रहे हो अब छोड़कर
जाते जाते तुम्हारे बिना भी जीना सीखा देते तो अच्छा होता
नही सोचा था कभी के तुम ऐसे बदल जाओगे
मुझे यू बीच रास्ते मे छोड़कर किसी ओर का हाथ थामोगे
दूर जा रही हो तो जाओ ना रोकूँगा तुझे
मगर जाते जाते मुझे एक वजह दे देते तो अच्छा होता
न लगा कभी की जूठा तेरा प्यार था
लड न सका इस दुनिया से शायद प्यार अपना कमजोर था
चाहता रहूंगा तुझे मैं शायद तूम भी कभी भुल पाओगी
तुझे चाहकर किसी ओर से भी दिल लगाना सीखा देते तो अच्छा होता
नजदीक हम इतने थे कि दूरी कभी लगी नही
जताया तूने प्यार इतना के प्यार की कोई कमी रही नहीं
दूर रहना तो सिख गया हूं तुजसे मैं
जाते जाते तुमसे दूरी रखना भी सीखा देते तो अच्छा होता
मालूम है मुझे अब तुम कभी न लौटोगी
दिमाग ने तो पहले समझ लिया क्या इस दिल को समझाओगी
उम्मीद नही है लेकिन दिल मान रहा नही
जाते जाते मुझे तेरा इन्तेजार करना भी सीखा देते तो अच्छा होता
तुझे चाहकर किसी ओर को कैसे चाहूंगा
ना सोचा कभी तेरे सिवा तो कैसे दिल बहलाउँगा
मासूम सी थी तूम, मेरे प्यार कि कातिल कैसे बन गयी
जाते जाते तुझे भूलाने का गुनाह करना सीखा देते तो अच्छा होता-
सुनी गाथा अर्जुन के पराक्रम की
है पता कर्ण के बलिदान की
कीर्ती बड़ी दोनों वीर पराक्रमी
थे महावीर धनुर्धर उस काल के
संघर्ष था दोनों में
सर्व श्रेष्ठ बनने का
परशुराम से विद्या ली कर्ण ने
अर्जुन तो शिष्य द्रोण का
निकला धनुर्विद्या की ख़ोज पर
अकेला इस कठिन राह पर
था जन्म ले रहा एक धनुर्धर
इन्हीं दोनों के साथ कुरुक्षेत्र पर
वन में अकेला प्रयास करता
छुप के कुरु कुमारों को देख कर
लगन उसे निपुण बनातीं
गुरु द्रोण थे उसके आदर्श
पता चला द्रोण को उसके बारे में
है एक वीर जो भारी है अर्जुन पर
वचन में बंधे गुरु द्रोण ने
मांगा अंगूठा गुरुदक्षिणा में उससे, शिष्य मानने पर
न था अर्जुन, ना कर्ण उतना वीर होता
न थे कवच कुण्डल, न गाण्डीव उसके पास था
जातिभेद का ग्रहण लगा वो
अस्त हुआ एक उगता सूरज था
एक क्षण भी विचार न किये
गुरुदक्षिणा में दिया अपना अंगूठा
नाम उसका एकलव्य था
नाम उसका एकलव्य था...-
लौट आया हूँ, जिस राह से चले हम थे
वापसी मेरी मुश्किल, अब कैसे बुलाओगे ?
एक के बाद एक जख्म देकर कितने
मेरे दर्द के सब्र का इम्तेहम लोगे ?
हूँ गेहरा मै सागर से भी,
फेंको जितने पत्थर फेंकोगे...-
cage
As bird and cage were together from childhood, they were more than friends and cage fall in love with bird. Cage loves bird from the deep of heart and Bird also knows about that...Once Cage prapose Bird, bird also likes cage and said yes, but due to relationship with cage Bird was in some limit fir her fly...
After some days gone, Bird unhappy because she can't fly.
She says we can only be friends, and remains in memories. We didn't made for love. Let's Breakup!
Cage realised, for our selfness we shouldn't brings restrictions on other, And he also unhappy by seeing Bird in restrictions due to him. Their relationship will never complete. If this relation will remains then Bird never fly in the sky... Cage said, yes we remains in memories always but it's more hurting to being friend with our love. For your happiness, for what you want to do we have to leave each other nad full stop this relationship. And Bird flied high in sky, now she won't stop at anywhere. She was so happy and by seeing her happy Cage also happy...
Don't put restrictions on other for our selfness, sometimes is better to leave rather than being with because Some relation are never made for being complete...-
बंधन
एकदा एका पिंजऱ्याला पक्षाशी प्रेम झाले. पक्षी आणि पिंजरा लहानपणापासून सोबत होते, एकमेकांचे मित्र किंवा त्यापेक्षा जास्त होते...पिंजरा पक्षाला मनापासूनप्रेम करायला लागला होता,
पक्ष्यालाही त्या प्रेमाची जाणीव होती.
एक दिवस पिंजऱ्याने त्याचे प्रेम प्रकट केले... पक्ष्यानेही होकार दिला, पण त्याच्या भरारीवर बंधन आलं होतं, काही दिवस गेले या बंधनात पक्षी खुश नव्हता.त्याने पिंजऱ्याला समजावलं आपण प्रेमासाठी नाही बनलेलो आपण मित्र म्हणून राहू, नेहमी एकमेकांच्या आठवणीत राहू...
स्वतःच्या स्वार्थासाठी आपण दुसऱ्याला बंधनात नाही ठेवायला हवं, त्यांचं नातं कधी पूर्ण होणार नव्हतं हे पिंजऱ्याच्या लक्ष्यात आलं, पिंजरा सुद्धा पक्षाला बंधनात पाहून खुश नव्हता आणि हे नातं टिकून राहिलं तर पक्षी भरारी घेणंच विसरून गेला असता.
पिंजरा म्हणाला, ज्याच्यावर प्रेम करतो त्याचा मित्र बनून राहणं खूप कठीण आहे. तुझ्या खुशी साठी, तुला जे आवडते ते करावं यासाठी आपल्याला एकमेकांना सोडावं लागेल या नात्याला पूर्णविराम द्यावा लागेल.
पिंजरा दुःखी होता पण त्याने पक्षाला त्याच्या बंधनातून मुक्त केलं आणि पक्षी पिंजऱ्याला सोडून आकाशात उंच भरारी घेतली, तो कुठेच थांबणार नव्हता. पक्षी खुश होता आणि त्याला खुश पाहून पिंजराही...
जीवनात स्वतःच्या स्वार्थासाठी कुणावर बंधन टाकू नये, काही नाती ही कधी पूर्ण होण्यासाठी बनलेली नसतातच...-
युं तो हम अनजान नहीं थे
मोहब्बत की हकीकत से...
पर जब से देखा है इन आँखो ने उनको,
जिंदगी बरबाद करने को भी तैयार हुए बैठे है...-
उजाले ने ठुकराई मेरी जिंदगी
तुम साया बनी मेरे साथ हो
मिला धोखा मुझे चाँद से
बनी तुम जुगुनू मेरी रात का हो
चाँद ने ग्रहण लगाया खुशीयों पर
जिंदगी जैसे मेरी घना अंधेरा हो
आजाद किया मुझे दर्द से हजारों
जख्म पर बनी तूम जैसे मऱहम हो
भटकता रहा हूं अंधेरे में
साथ तुम सुरज की पहली किरण हो
बनके रहा था में मुसाफिर सा
पानी थी जो मंजिल तुम हो
प्यासी बंजर जमींन सा मैं
बनी तू बारिश की पहली बुंद हो
तरसता रहा हु बुंद बुंद पानी के लिये
बरस राहा है मुझपें सावन तुम हो
अंधेरे मे काट लुंगा जिंदगी
चाहे लगे कितने भी ठोकर हो
अगर हो साथ तेरा इस रात में तो
इस रात की कभी सुबह ना हो
इस रात की कभी सुबह ना हो...-
किया था प्यार तुझे
तेरी मसुमियत को देख कर
पहचान नहीं पाया तेरी झूठी मुस्कान को
तेरी आँखों मे खोकर
हा पता था मुझे साथ नहीं दोगी तुम कभी
ना किया था तो हमने भी प्यार तुझसे,
फायदा या नुकसान देखकर...-
उनकी आंखे हमेशा
हमारे खिलाफ सजिश करती है...
काश वो जान पाते
एक हम है जो उनके लिये,
हमेशा उनकी साजिश का
शिकार होते है...-
हर बार आप हम पर ही ईल्जाम
लगा देते हो मोहब्बत का...
कभी खुद से भी पुछा है
की
तुम इतनी खूबसुरत क्यू हो 😍???-