सुना है आज एक बाजार लगेगा!मोह्हबत चादर से छन जाएगी औरजिस्म ऊपर तड़पता रह जाएगा। -
सुना है आज एक बाजार लगेगा!मोह्हबत चादर से छन जाएगी औरजिस्म ऊपर तड़पता रह जाएगा।
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वक्त से की गुज़रिश थी, वक्त ने की शिफारिश थी।सोचा था....कोई बात नहीं, अपने हो क्या हुआ जो विशेष ना हो!क्या पता था? साथ तो छोड़ो! आस-पास भी ना हो।। -
वक्त से की गुज़रिश थी, वक्त ने की शिफारिश थी।सोचा था....कोई बात नहीं, अपने हो क्या हुआ जो विशेष ना हो!क्या पता था? साथ तो छोड़ो! आस-पास भी ना हो।।
जिसे रानी बनाना था, वो कहानी सा हो गया।जिसे रखना था पलकों पर, वो खुद ही की मनमानी से खो गया।। -
जिसे रानी बनाना था, वो कहानी सा हो गया।जिसे रखना था पलकों पर, वो खुद ही की मनमानी से खो गया।।
डूबते मस्तूल पर अब शोक करने चलें हैं हम,तब कहाँ थे? जब कश्ती भँवर के अनुकूल बह रही थी हमारी। -
डूबते मस्तूल पर अब शोक करने चलें हैं हम,तब कहाँ थे? जब कश्ती भँवर के अनुकूल बह रही थी हमारी।
आज फिर सपनों में जी रहा हूं मैंक्योंकिकल को सपनों को जीना है मुझे। -
आज फिर सपनों में जी रहा हूं मैंक्योंकिकल को सपनों को जीना है मुझे।
मुकद्दर के तमाशों में आग सी लगी,हमें लगा जले हैं सपने उनकेसच तो ये है जिंदगी हमारी ख़ाक हो गई। -
मुकद्दर के तमाशों में आग सी लगी,हमें लगा जले हैं सपने उनकेसच तो ये है जिंदगी हमारी ख़ाक हो गई।
हां ये सच है किउसने भीख तक मांगी थी मेरी, अपने खुदा सेऔर उसकी बदनसीबी तो देखो उसने खुदा भी मुझे ही माना। -
हां ये सच है किउसने भीख तक मांगी थी मेरी, अपने खुदा सेऔर उसकी बदनसीबी तो देखो उसने खुदा भी मुझे ही माना।
फिर कभी, किसी ने मेरी हंसी की तारीफ की, तो सोचेंगे...ये हंसी हमारे चेहरे पर है किसकी वजह से। -
फिर कभी, किसी ने मेरी हंसी की तारीफ की, तो सोचेंगे...ये हंसी हमारे चेहरे पर है किसकी वजह से।
मेरे इन्तज़ार का सब्र तुम क्या जानोमेरी हर रात ने मुझसे दर्द छीना हैअच्छे दिन का हवाला देकर -
मेरे इन्तज़ार का सब्र तुम क्या जानोमेरी हर रात ने मुझसे दर्द छीना हैअच्छे दिन का हवाला देकर
बीतीं रातें, बीतीं बातें बीत गया आपका वक़त,उस वक़त की क्या फ़िजा थीजब दी थी आपने दस्तक। -
बीतीं रातें, बीतीं बातें बीत गया आपका वक़त,उस वक़त की क्या फ़िजा थीजब दी थी आपने दस्तक।