CH VISHAL DALAL   (Vishi(आज फिर))
14 Followers · 2 Following

एहसास ही नहीं, क्या हूँ में?
Joined 11 August 2018


एहसास ही नहीं, क्या हूँ में?
Joined 11 August 2018
14 FEB 2022 AT 0:22

सुना है आज एक बाजार लगेगा!

मोह्हबत चादर से छन जाएगी और
जिस्म ऊपर तड़पता रह जाएगा।

-


4 JUN 2021 AT 18:37

वक्त से की गुज़रिश थी, वक्त ने की शिफारिश थी।
सोचा था....
कोई बात नहीं, अपने हो क्या हुआ जो विशेष ना हो!
क्या पता था?
साथ तो छोड़ो! आस-पास भी ना हो।।

-


4 JUN 2021 AT 17:18

जिसे रानी बनाना था, वो कहानी सा हो गया।
जिसे रखना था पलकों पर, वो खुद ही की मनमानी से खो गया।।

-


1 APR 2021 AT 2:00

डूबते मस्तूल पर अब शोक करने चलें हैं हम,
तब कहाँ थे?
जब कश्ती भँवर के अनुकूल बह रही थी हमारी।

-


23 JAN 2021 AT 7:03

आज फिर सपनों में जी रहा हूं मैं
क्योंकि
कल को सपनों को जीना है मुझे।

-


21 JAN 2021 AT 9:02

मुकद्दर के तमाशों में
आग सी लगी,
हमें लगा जले हैं सपने उनके
सच तो ये है जिंदगी हमारी ख़ाक हो गई।

-


12 JAN 2021 AT 15:47

हां ये सच है कि
उसने भीख तक मांगी थी मेरी,
अपने खुदा से
और उसकी बदनसीबी तो देखो उसने खुदा भी मुझे ही माना।

-


15 FEB 2020 AT 2:30

फिर कभी,
किसी ने मेरी हंसी की तारीफ की,
तो सोचेंगे...
ये हंसी हमारे चेहरे पर है किसकी वजह से।

-


11 FEB 2020 AT 12:27

मेरे इन्तज़ार का सब्र तुम क्या जानो
मेरी हर रात ने मुझसे दर्द छीना है
अच्छे दिन का हवाला देकर

-


10 FEB 2020 AT 2:13

बीतीं रातें, बीतीं बातें
बीत गया आपका वक़त,
उस वक़त की क्या फ़िजा थी
जब दी थी आपने दस्तक।

-


Fetching CH VISHAL DALAL Quotes