हमेशा नहीं होगा, तू साथ हर बार ये मान लेना कितना मुश्किल था मेरे लिए, क्योंकि दिया नहीं मैंने वो हक और किसी को,तलाशा नहीं महीनों बाद तक किसी को,शिकायतें बहुत थी मगर मुस्कुराकर छोड़ दी पूछते भी तो किससे तेरे बारे में जबकि तेरा जिक्र ही नहीं किया था हर मोड़ पर किसी को !
गहनों का मुझको शौक नहीं, मैं थोड़ी सी बचकानी हूं! एक लाल कलावा बांध के खुश, मैं ऐसी प्रेम दीवानी हूं ! आ जाना कभी सुनाऊंगी, मैं ऐसी प्रेम कहानी हूं! द्वापर में राधा,मीरा थी... मैं कलयुग में मतवाली हूं!
कोई दुआओं में मांगता होगा दीदार मेरा, किसी को मेरे पास बैठना भी आम लगा होगा! किसी ने बेवक्त लूटा दी हम पर वफाएं अपनी, किसी को दो लफ्ज़ कहने में भी वक्त तमाम लगा होगा!