चौ हर्षित यादव   (चौ• हर्षित यादव "विक्की")
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Joined 7 September 2020


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Joined 7 September 2020

। ज़रा सा पैर फिसला तो ।
।। इल्जाम उसी चप्पल पर लगाया सबने ।।
।।। महीनों तपती धूप और कांटो से बचाया जिसने ।।।

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आज हाल नही पूछते तो क्या हुआ
कल सब पूछते फिरोगे की उसे हुआ क्या था

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अब तो रास्तों से उम्मीद नही
अगर भटका तो किधर जाऊंगा

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चमक सूरज की नहीं मेरे किरदार की है,
खबर ये आसमाँ के अखबार की है,
मैं चलूँ... तो मेरे संग कारवाँ चले,
बात गुरूर की नहीं ऐतबार की है।

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बहुत खास थे कभी
नजरों में किसी के हम भी,
मगर नजरों के तकाज़े
बदलने में देर कहाँ लगती है

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दुनिया में इंसान को सब चीजें मिल जाती है,
केवल अपनी गलती नहीं मिलती इंसान को!!

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नफ़रत को हजार मौके दो की
वो प्रेम में परिवर्तित हो जाए,
लेकिन प्रेम को एक भी मौका मत दो
की वो नफरत में बदल जाए !!

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बादलों से कह दो अब इतना भी ना बरसे….
अगर मुझे उनकी याद आ गई, तो मुकाबला बराबरी का होगा….

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हम बुरे ही भले अब..
जब अच्छे थे तब कौन से मैडल मिल गये

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टूट सा गया है मेरी चाहतो का वजूद….
अब कोई अच्छा भी लगे तो हम इजहार नहीं करते

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