उमर गुजरेगी इम्तिहान क्या,
दाग़ ही देंगे मुझको दान में क्या.
मेरी हर बात बे–असर ही रही,
नक्स है कुछ मेरे बयान में क्या.
ये मुझे चैन क्यों नहीं पड़ता,
एक ही शक्स था जहां में क्या...!
( जॉन एलिया साहब)-
CaRpEdiAm S
(N! tin S! ngh)
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*सब्र*
Joined 5 March 2020
17 APR 2024 AT 12:57
15 APR 2024 AT 11:41
तस्सवुर, ख़्वाब, दरवाज़े, दरीचे,
कोई आए तो कितने रास्ते हैं...!
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12 APR 2024 AT 20:52
The roots of resilience... are to be found in the sense of being understood by and existing in the mind and heart of a loving, attuned, and self-possessed other...!
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19 MAR 2024 AT 15:37
हमारी रातों में जितनी रोशनी
बढ़ती जा रही है
हमारे दिनों में उतना ही
अँधेरा भी बढ़ता जा रहा है।
🤫-
1 MAR 2024 AT 7:30
तुम राह में चुपचाप खड़े हो तो गए हो,
किस किस को बताओगे कि घर क्यों नहीं जाते"
🤫-
21 NOV 2023 AT 20:06
वो मेरी तरह तुझे पुकारता है क्या...
इंतज़ार में शामें गुजरता है क्या...
माना रखता है वो तुझे पे नज़र...
मेरी तरह तेरी नजर उतरता है क्या...?
🤫-