क्या कोई दूसरा नुस्ख़ा अपनाया जा सकता है
दिल कमजोर है मगर आजमाया जा सकता है
थक गए है ये शजर मुझको साया करते करते
किसीको अपने लिए कितना झुकाया जा सकता है
ये रश्म-ए-अदालते-इश्क़ है कि इसी का डर है
तुमको एक मुद्दे पर हजार बार बुलाया जा सकता है
किसी काम के नही ये हरकारे, ये क़ासिद तुम्हारे
हाल-ए-दिल को बे-दिली से सुनाया जा सकता है
वो सहमा हुआ बैठा है नज़रे झुकाए महफ़िल में
आज उसकी बेवफ़ाई का किस्सा सुनाया जा सकता है
मेरे शहर में मज़हब-ओ-सियासत का आलम है
उसके इशारे पे उसे सरकार बताया जा सकता है
चाँद एक तल्ख़ हक़ीक़त है आशिक़ी करने वालों
मेरी ग़ज़लों को रुबाई की तरह पढ़ाया जा सकता है
─©चाँद
-
तुम्हारी तो न जाने अब किस-किस पर नजर जाएगी
मगर तुमको भुलाने में मेरी सारी उमर जाएगी
तेरे-मेरे दरमियान जो है, गलतफ़हमी तो नहीं
एक दिन यही बात रिश्ते में घर कर जाएगी
जो पहले गुजरी सब हसीन थी यार
अब जो बची है रात आँखों में मर जाएगी
तुम गए, तुम्हारी याद गई वो नूर गया
ये उदासी फिर मेरे अलावा किसके घर जाएगी
जिस तरह खुद को तमाम किया है तेरे ख़्यालों में
मेरी तबाही सुनकर तो रकीब की आँखे भर जाएगी
सुनो तुम सब खत्म करो तो ख़ामोशी से करना
जरा भी शोर हुआ तो हक़ीकत डर जाएगी
एक जिसके डर से तुमने लिखना छोड़ा 'चाँद'
सोचा नही कि तुम्हारी रूह भी ठहर जाएगी-
मैं कोई अल्हड़, नादान, पुरवाई सी हूँ,,
तुम्हे छू कर भी गुज़री तो सिमट जाओगे...-
पलकें झपकती हूँ की कोई बार-बार दिखे
किसी जानिब से आता कोई शहसवार दिखे...-
मेरा आज,
बहोत प्यारा है...
तुम्हारे यूँ ही
मेरे साथ रहने से,
यकीनन
मेरा कल,
मेरा परसों,
मेरा बरसों,
उतना ही प्यारा
और खूबसूरत
होगा...-
तुम ख्वाबीदा थे, ख्वाबीदा हो,रहोगे हमेशा
ख़्वाब मुकम्मल हो, ये कहानी रास ना आई...
─©चाँद...
-
तेरी तासीर-ए-इश्क़ बड़ी मुकद्दस है यार,,
मैं कालिख़ से चंदन जो हुई जा रही हूँ...
-
जिंदगी इतने सलीके से जीता है वो शायर,,
इश्क़ उसकी गली से गुजरे फिर भी देखता तक नहीं...
-
अगर आपने जीवन में
अच्छे कर्म किए हैं,,
तो फलस्वरूप
आपको अच्छे लोग
कभी भी मिल सकते हैं,
कहीं भी...-