हिंदी मात्र भाषा नहीं है, वह मेरा भाव है
जो मेरे विचारों को सही प्रकार से जीवंत करती है
मेरे जीवन को अभिव्यक्ति की शक्ति प्रदान करती है
हिंदी मेरी भाषा है और मुझे मेरी भाषा पर गर्व है।
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दृष्टि
दृष्टि रखें स्वयं के विकारों पर, ना की दूसरों के विचारों पर
दृष्टि रखें स्वयं के विकास पास, ना की दूसरों के व्यवहार पर
दृष्टि रखें स्वयं की कामनाओं पर, ना की दूसरों की आलोचनाओं पर
दृष्टि रखें स्वयं के अस्तित्व पर, ना की दूसरो के व्यक्तित्व पर
दृष्टि रखें स्वयं पर, ना की अपने अहम पर।-
अहंकार का एक रूप
जब हम सोचते हैं की सब कुछ बुरा है, बस हम अच्छे हैं।
जब हम हर चीज़ में खोट ढूँढते रहते हैं, क्यूंकि हमें लगता है बस हम ही सही हैं।
जब हम हमेशा दुखी रहते हैं और हमें लगता है संसार की हर बात हमारे जीवन पर भार है।
जब हमें यह लगता है की हम सबका अच्छा करते हैं पर हमारा अच्छा कोई नहीं चाहता।
यदि हमारे स्वभाव में यह सब बातें परिलक्षित होती हैं तो हमें चिंता होनी चाहिए।
क्यूंकि हम ऐसे विकार की चपेट में हैं जिसको दूर करना कठिन है, पर जरूरी है।
#अहंकार
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ना है कोई विशेषता, ना ह्रदय में कोई चेष्टा, निम्नता का अंत लग रहा है आ गया।
स्वयं की खोज कर रहा, मनुष्य देखो है खड़ा, प्रभु तुम्हारे सामने भक्त एक आ गया।
समस्त सृष्टि के सृजन के तत्व को समझ लिया, जो खुद से वो मिल गया, वो तुझमें भी मिल गया।
कोटि कोटि प्रणाम शम्भू, कोटि नमन दिगम्बरा।-
पर हम हिम्मत नहीं हारेंगे।
वो समझें कि, वो पत्थर हैं,
पर वो ये ना समझ पाए… कि, हम भी चट्टान हैं
हम लड़कर फिर खड़े होंगे,
ये हम उनको दिखा देंगे।
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इतिहास
कहते हैं…जो बीत गया सो बात गई।
हाँ बात तो गई, पर हमें बहुत कुछ सीखा गई।
क्या होता अगर हमें बीता हुआ कभी कुछ याद ही ना रहता?
क्या यह जीवन आगे बढ़ पाता? क्या हम कभी वो बन पाते जो आज हैं?
नहीं! कभी भी नहीं!
गुज़रे हुए कल का इतिहास ही हमें आगे के जीवन को कैसे जीना है उसकी प्रेरणा देता है। पर क्या हो अगर हमें जो इतिहास बताया जा रहा है वो ग़लत हो या उसको बदल कर पेश किया जा रहा हो। तो मतलब यह हुआ कि हम ग़लत इतिहास से प्रेरणा ले रहे हैं। हम ग़लत लोगों को अपना ideal मान बैठें हैं। जी हाँ!
हमारा इतिहास हमारी शक्ति है। इसलिय सही इतिहास सामने लाना बहुत ज़रूरी है। क्यूँकि ग़लत इतिहास के बल पर मज़बूत राष्ट्र बनाना संभव नहीं है।
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शून्य
उम्मीद का दामन थाम कर चल रहा है वो राही
पथ पर अनेक पत्थर मिले, काँटे मिले
पर चलना नहीं छोड़ा, हिम्मत नहीं हारी
सदियों की टीस, ना जाने कितने जन्मों की कोशिश
पाना चाहता है वो अपनी मंज़िल
पर सोचा नहीं कभी वह चल रहा है जिस ओर
वो रास्ता आख़िर जाएगा किस ओर
क्या मिल पाएगी उसे मंज़िल
या मिलेगा उसे बस एक “शून्य”।
to be cont….-
सर पर हो ममता की छाया,
ऐसा सुख और कहीं ना पाया।
ईश्वर ने अपनी ही छवि का,
कितना सुन्दर रूप बनाया।
यूं तो हर दिन है मां का,
आज को हमनें खास बनाया।
धरती मां, भारत मां संग सभी माताओं को हृदय से वंदन और आज ही नहीं हर रोज़ नमन-
आज फिर सोचा कुछ नया करेंगे,
बस सोचा ही था कि कल की बात याद आ गई।
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होली के रंग खुशियों के संग,
मन में तरंग, छा गई उमंग,
होली के गीत गाते हैं संग,
ऐसे में भूल जाए हम सारे गम,
खेलें होली के रंग खुशियों के संग।
सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।-