व्यक्ति को अपने प्रिय व्यक्ति के गुस्सा होने से डर नहीं लगता, उस डर लगता है इस बात से की कहीं ये गुस्सा ताउम्र रह गया तो। अगर इस गुस्से की वजह से ये उनकी अंतिम बार की बात/मुलाकात हुई तो?
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शायरी नहीं जज़्बात लिखता हूं,
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तलाशेंगे अगले जन्म में अब सुकून को हम,
"रोहित" इस जन्म में तो अब सब्र आने से रहा।-
ए मौत, जल्दी समेटना तू मुझे अपनी बाहों में,
रोहित को अब तेरे सिवा किसी पर ऐतबार ना रहा।-
बेहतर यही है की गुफ्तगू ना हो दो लोगों के दरमियान,
चंद रोज की मुलाकातें जिंदगी भर का ज़ख्म दिया करती हैं।-
आज के दौर का मनुष्य शायद सबसे दोहरी जिंदगी जी रहा है। वो सबसे ज्यादा प्राइवेसी प्राइवेसी चिल्लाता है। प्राइवेसी के नाम पर जिंदगी से मां-बाप, भाई-बहन, दोस्तों इत्यादि को भगाता है और फिर जल्दी ही अकेलेपन का रोना रोने लग जाता है। शायद उसे खुद भी नहीं पता की आखिर उसे चाहिए क्या?
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हर किसी ने तन्हा छोड़ा मुझको,
आंसू आने पर मैंने खुद ही संभाला खुदको,
एक दरख्वास्त करनी थी मेरे जानने वालों से मुझे,
मेरे मरने पर भी देखने ना आना मुझको।-
वो भागते हैं दौलत और कार के पीछे,
ये नहीं है जिंदगी की आखिरी मंजिल,
क्या उन्हें इतना भी पता नहीं है।
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तुम्हें गुरुर है खुद पर बहुत, कि तुमने धन-ओ-दौलत कमाया है बहुत,
कभी फुर्सत से बैठ कर सोचना, पूरी जिंदगी में तुमसे एक शख्स भी ना कमाया गया।— % &-
कभी भी पैसों की खनक की जगह,
अहसासों से तौलना तुम रिश्तों को तराजू पर,
मेरा वादा है तुमसे,
मेरे इश्क को हमेशा वजनदार पाओगी।-
इतनी नींदें इस डिग्री पर उधार हैं,
ब्याज पर दूं तो शायद एक नई जिंदगी निकल आए।
🥰🤩😍❤️
सपनों, नींदों, उम्मीदों, रिश्तों, जवानी का सौदा करना पड़ता है,
तब जाकर कोई चार्टर्ड एकाउंटेंट बनता है।-