CA Priti Ag Surana   (CA Priti Ag. Surana)
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Simplicity is the best policy.
Joined 2 May 2017


Simplicity is the best policy.
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11 MAY 2022 AT 12:29

लहर के खौफ़ में कब से खड़े हम
किनारों को सँभाले जा रहे हैं

क़फ़स की सब सलाखें खुल चुकी हैं
मग़र परवाज़ टाले जा रहे हैं

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28 APR 2022 AT 20:27

पुराने ख़त सँभाले जा रहे हैं
ये कैसा शौक़ पाले जा रहे हैं

किसी दिल को मयस्सर ही नहीं हम
किसी दिल से निकाले जा रहे हैं

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22 FEB 2022 AT 10:27

ज़िन्दग़ी से रंजिशें कुछ कम नहीं हैं..
हाँ, बहुत हैं ग़म, मग़र कुछ ग़म नहीं है

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21 NOV 2021 AT 17:11

हर गुज़रते कारवाँ का शुक्रिया है
ज़िन्दग़ी तूने मुझे कितना दिया है..

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21 MAY 2019 AT 20:10

उफ़्फ़ नहीं करते तुम
जब तुम्हारे काँधे पर
अपना सर रखकर
सुक़ून से मैं आँखें बन्द
कर लिया करती हूँ..
और लगता है जैसे
तुम सीप हो मोती का..
अन्दाज़ा नहीं लगने देते,
वो काँधे तुम्हारे,
मेरी छोटी- बड़ी
सारी ख़्वाहिशों की
ज़िम्मेदारी का कितना
भार लिए हुवे हैं...
यही तो है प्यार...

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19 APR 2019 AT 11:45

तोड़ा है वो दिल है,
काँच का टुकड़ा नहीं कोई...

Read in caption

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11 NOV 2021 AT 18:56

छू कर तुम्हें गुज़री थीं जो लहरें कभी
वो लौट कर साहिल तलक फ़िर आएँगी

ये फ़ासले हैं, क़ुर्बतों के फ़ासले
कुछ दूरियों पर, दूरियाँ मिट जाएँगी

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17 SEP 2021 AT 12:38

उपवन में क्यों फ़ूल सुहाने
भेद ये बस माली ही जाने
मानस पर सौ पहरे लेकिन
मन ख़ुद ही मन की ना माने

प्रेम- इत्र की पूरित कलियाँ
भ्रमर छुए तो क्यों सकुचाए

नारी! तुमको कौन लुभाए...

(Caption)

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12 SEP 2021 AT 8:40

क्षमा करना, क्षमा पाना ज़िन्दग़ी का सार है
पर नहीं यह मात्र एक दिवस का त्योहार है
हो निवृत्ति आत्मा पर पड़े हुवे आवरण से
ख़ुद के अन्दर झाँकना, निज निष्ठ यह व्यवहार है
ना बरस, ना दिवस कोई, सतत पश्चाताप का
क्षमा सबको, मुझे भी सबकी क्षमा स्वीकार है

🙏मिच्छामी दुक्कड़म🙏

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17 AUG 2021 AT 12:30

कभी आसमान से बरसा पानी
बदन जलाता है,
कहीं किसी के अन्तर मन में,
सावन उमड़ा जाता है
कहीं पीर के बादल फ़टते,
अँखियाँ भर- भर आती हैं
ये बारिशें...
कितना शोर मचाती हैं...

(Caption)

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