पता है कि दुनिया, छले जा रही है,
ये कहने में मुझको, शर्म आ रही है।
हवाओं में ज़हर घुला इस कदर है,
जिस्म जिंदा है मगर, रूह मरे जा रही है।-
मोहब्बत में मुझको सज़ा वो मिली है,
की आंखों में आँसू, होठों पर हँसी है।
खुमार उनको दौलत का होने लगा है,
और इंसानियत में कमी आ गई है।
मौत आनी है एक दिन सभी को पता है,
मगर फिर भी सिक्कों पर मरे जा रहा है।-
मोहब्बत की है उनसे, क्या जताना पड़ेगा?
है पागल उनके लिए, क्या बताना पड़ेगा?
पलकें भीग जाती है अक्सर गुमसुम बैठे,
सीना चीर कर, क्या अब दिखाना पड़ेगा?-
अनकहे अल्फ़ाज़, दिल में रह गए,
वो चलते गए और हम बस देखते रह गए।
आँसू जब बहने लगे निर्झर पलकों से,
होठ मुस्कुराते, और हम कंपकपाते रह गए।-
जिस्मानी नहीं, हम रूहानी हो जाए,
इतना प्यार करे की आसमानी हो जाए।-
इज़हार-ए-इश्क़ में अक्सर वक्त लगता है,
मोहब्बत का मज़ा जल्दबाजी में नहीं आता।
नशा शराब में होता है सुना है कई बार मगर,
मोहब्बत सा मज़ा किसी बोतल में नहीं आता।-
कुछ इस क़दर मैं तुमको प्यार करता हूँ,
एक पल में एक सदी सा तुमको याद करता हूँ।-
ऐ मौत, सुना है तुम बहुत हसीन होती हो,
मुझसे एक बार ही सही इश्क़ करोगी क्या?-
लम्हे बीते दिन बीते महीने बन गए साल,
आई नहीं कुछ खबर कहाँ हो मेरे श्याम।-