वो गुलाब मान बैठा खुद को निशानी मेरे इश्क़ की,
हक़ीक़त बयां न कर पाया वो,
शायद उसे मालूम नहीं -
यू तो कई गुलाब होंगे उस माली की बगिया में,
इश्क़ की निशानी बनने के लिये उसे
मेरे यार के हाथों को छूकर गुजरना पड़ा हैं ❤
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Teaching by passion.
Love to write.
"What we learn wit... read more
माँ का दुआ लुटाना ये बात नहीं खास है,
क्युकी दुनियाँ की हर एक माँ मे होता रब का वास है,
वो बिना किसी अपेक्षा के प्रेम ही लुटाती है,
जरा कभी आक्रोश आ भी जाए तो बिना पूछे
"खाना खाया के नहीं"?
नींद उसे कहां आती हैं,
माँ के परिश्रम के आगे हर एक रोजगार फीका है,
माँ के समर्पण से ही पूरा परिवार जीता हैं
क्युकी माँ अपने मेहंताना संतान की खुशी को मानती हैं,
माँ हैं तो जीवन का प्यारा सा अर्थ हैं,
जो संतान माँ की इज्जत नहीं कर सकती उसका जीवन व्यर्थ हैं...!!-
यह सैनिक के जज्बात हैं....
बेशक लाल रंग इश्क़ की पहचान है....
लेकिन लाल रंग से इश्क़, जो सैनिक कर बैठे हैं,
मातृभूमि से इश्क़ हैं ये,
ये इश्क़ नहीं आम हैं....
हर कोई समझ नहीं पायेगा,
यह सैनिक के जज्बात हैं...!!-
कहते है दो पल की हैं ज़िन्दगी,
एक पल अगर मुश्किल था,
तो दूसरा पल तो आसान कर दो ना..!!
विश्वास करो और आगे बढ़ो, ज़िन्दगी हैं खूबसूरत तो होगी ही,
बीते लम्हों के बोझ को उतार दो मन से,
उस दर्द मैं भी एक सीख हैं,
उस सीख से बेहतर बना लो आज और कल को,
ज़िन्दगी हैं खूबसूरत तो होगी ही....!!
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अपने घर को मिट्टी के दीयों से सजाएं,
दीवाली सभी के लिए रोशन बनाएं.... ✨✨-
सुकून नहीं मिलता यहां.....
कहानी सब की अलग है, कलम लेकिन एक ही रही,
हंसी के भीतर कैद वो वजूद नहीं दिखता यहां,
वक़्त ने संभाली है पग-पग भावनाओं की डोर को,
आंसू बहे किसी के तो किसी के मन में ही खलता रहा,
बाहर सब कुछ सुंदर सा दिखाई वो पड़ रहां, एकांत में जो असल है वह है उबर रहां,
दुनियां में सब कुछ मिल जाए पर फिर भी कुछ बाकी रहां,
अनसुलझी सी उलझनों में हर कोई फंसा हुआ....
सुकून नहीं मिलता यहां....!!-
वो चीखें, वो पिड़ाए, जिस्म था उसका राख हुआ,
फूल सा तन था, उसका आज कैसा ये हाल हुआ,
निशान थे कुछ पड़े हुए, मानवता का कैसा ये विनाश हुआ....!
औरत के कोख में पलकर, औरत के तन से निकलकर, क्या इसीलिए था आगाज़ हुआ,
मर्दानगी नहीं उन पापियों की कायरता का प्रमाण है ये....!
क्या हाथ काटना या फंदे से झूला देना पर्याप्त है...??
नहीं सजा-ए-मौत ऐसी हो की रुह थर-थर कांप जाए...
किसी और हैवान की आंख देश की "सीता" की तरफ ना उठ पाए...
काट-काट के उतने ही टुकड़े करों उतने जितने उस नन्ही सी जान के जिस्म पर जख्म थे आये....!!
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बात छोटी हो चाहे हो बड़ी,
सिखाने वाला हर व्यक्ति शिक्षक है....
बेशक किताबें बहुत कुछ सिखाती है,
परंतु सब कुछ सिखाने के लिए पर्याप्त नहीं....
अनुभव बुजुर्गों का, तजुर्बा जिंदगी का,
अनिवार्य है व्यवहारिक ज्ञान का किताब़ी ज्ञान में सम्मिलित होना,
क्युंकी "जीवन" एक श्रेष्ठ शिक्षक है....
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