©Preeti Pathari   (© preetipathari)
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Joined 5 April 2018


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20 APR AT 23:43


ज़िंदगी सिर्फ अपने ज़ख़्म गिनने से नहीं चलती,
कभी दूसरों के मरहम भी बनो तो सुकून मिलेगा/

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20 APR AT 23:30

बहुत खुदगर्ज होते हैं वो लोग जिन्हें सिर्फ अपने हिस्से के दुःख दिखाई देते हैं,
कभी दूसरों के आंसुओं की वजह भी जानने की कोशिश की होती तो इंसानियत दिखती।
(२०/४/२५ ११:२३)💔

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15 APR AT 23:43

उसकी आँखों में काजल,
जैसे घने, काले बादल।
कानों के झुमके झिलमिलाते,
जैसे बरसात में नाचते मोर।

कंधे पर लहराती चुनरी,
मानो फैला हो नीला आसमान।
माथे की बिंदी दमकती,
जैसे चाँद का पहला दीदार।

पैरों में छनकती पायल,
जैसे बारिश की पहली फुहार|

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18 JAN AT 0:00

खिड़की से झकता आसमां आधा - अधूरा चांद मेरा
चार दिवारी कमरे में एक नन्ही रौशनी रानी तकाझाकी करती हैं
रोशनी कभी आती,कभी जाती, कभी बादल की आड़ में छुप जाती
खिड़की से आसमां छोटा नजर आता हैं
चांद पर आधा-आधा नजर आता है
यूं तो सभी के लिए हैं ना आसमा
पर मेरा आसमां मुझे छोटा नजर आता हैं

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18 NOV 2024 AT 23:36

क्या रेखाएं वास्तव में भविष्य की कहानी कहती हैं
अगर ये कहानी किसी ने लिखी हैं
तो कैसे किसी और के कुछ नियमों से बुरी रेखाओं को मिटाई जा सकती हैं
या कुछ उपायों से उसमें सुधार की जा सकती हैं
या फिर ये महज एक वहम हैं
या फिर ये मौन हैं कुछ कहती नहीं

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9 DEC 2022 AT 23:10

"तेरे वादों से फला फूला गुलाब का पौधा"
"तेरे इंतजार में मुरझाने लगा हैं"

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11 NOV 2022 AT 20:28

Yourquote ने बहुत कुछ सिखाया हैं, नए लेखकों के लिऐ yq didi प्रेरणा स्रोत रही हैं एकाएक yq का बंद होना मन को दुःखी कर रहा हैं मैं ईश्वर से प्रार्थना करती हू 🔱 की १दिसंबर से पहले yq अपने फंड की आपूर्ति को पूरा कर पाए 🥺 और yq सुचारू रूप से निरंतर चलता रहें ! 🤞 इसके साथ ही इस सफ़र में मेरे followers ने भी साथ दीया और मुझे प्रोत्साहित किया इनमें से कुछ चुनिंदा ऐसे भी लोग रहें जिनसे yq के माध्यम से दोस्ती हुईं और उन्होंने भी बहुत कुछ सिखाया हैं उन सभी पाठकों का तहदिल से बहुत-बहुत आभार जो मेरे इस सफ़र में मेरे साथ साथ चलते रहें आप लोगो का साथ मेरे लिए बहुमूल्य हैं 💞🙏 ... महादेव का आशीष आप सभी पर सदा बने रहें 🔱 ऐसे ही लिखते रहें, पढ़ते रहें, स्वस्थ रहें, मस्त रहें

""""""""""अलविदा दोस्तों """"""""""""""

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9 NOV 2022 AT 23:48

कितने ही पेड़ो के छांव में अंकुरित हुईं प्रीती ना जानें कितने रिश्तों को पेड़ो ने संजो कर रखा हैं
ना जानें कितने लोगों ने पेड़ों के सीने में अपने मेहबूब के नाम को अमर किया हैं

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6 SEP 2022 AT 17:53

"एहसासों की सुई से दर्दों को सिला जाता हैं"

"मेरे बिन कहें मेरी वो हर एक बात समझ जाता हैं"

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6 SEP 2022 AT 17:07

"स्त्री अपने पसंदीदा पंख उगा नहीं सकती"
"उसमें मर्द के स्वीकृति के बीज बोने होते हैं"

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