C.K. Sharma 'चर्चित'   ('चर्चित')
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Joined 13 December 2019


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Joined 13 December 2019

सभी स्वजनों को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं💐
*आओ नूतन नववर्ष मना लें...*
#2023
बीते वर्ष जो अभिलाषाओं से
फिर से अब उनको सजा लें
द्वेष-वैर, ईर्ष्या को दफना
प्रेम का दीप फिर हम जला लें
आओ नूतन नववर्ष मना लें...

अपनी-अपनी बाल-वाटिका में
फिर से प्यारे फूल खिला लें
खेल-खेल में गतिविधि कर
बच्चों को फिर से बहला लें

सतत ध्यान और दृश्य भेद से
ग्राफो-फोनिक का अर्थ समझा लें
सुनें कहानी अब नन्हें-मुन्नों से
व्यावहारिकता को हम अपना लें

सुंदर-सुंदर पुष्प लगाकर
फिर अपना आंगन महका लें
आओ नूतन नववर्ष मना लें...
© C.K sharma 'चर्चित'

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आओ नूतन नववर्ष मना लें...
#2023
अपनी-अपनी बाल-वाटिका में
फिर से प्यारे फूल खिला लें
खेल-खेल में गतिविधि कर
बच्चों को फिर से बहला लें

सतत ध्यान और दृश्य भेद से
ग्राफो-फोनिक का अर्थ समझा लें
सुनें कहानी अब नन्हें-मुन्नों से
व्यावहारिकता को हम अपना लें

सुंदर-सुंदर पुष्प लगाकर
फिर अपना आंगन महका लें
आओ नूतन नववर्ष मना लें...
- c.k. sharma 'चर्चित'

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स्नेह का
प्रेम का,
त्याग का
करूणा का,
ममता का,
हर उस सुख का,
जो किलकारियों के लिए
कहीं पीछे छूटता गया।
हर एक सपने का,
जो खिलौने के लिए
कहीं पीछे टूटते गये।
माँ के हर उस
परित्याग का
कौन हिसाब करें...

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राम नाम जपत जो नर-नारी।
कृपा भक्तन पर कीन्ह त्रिपुरारी।।



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राम नाम से सरन प्रभु दीन्हा।
हनुमत संग चर्चित प्रभु कीन्हा।।





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मैं भोले तेरा भक्त हुआ
कृपा से तेरी आशक्त हुआ।
जैसे तुमने विषपान किया
विघ्नों को मेरे आसान किया।
#महादेव🙏

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बेगानी सी दुनिया में
हम ठगे से रह गये।
सच-झूठ के दंगल में
हम मासूम बनकर ढह गये।

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यहां सब लड़ रहे अपने लिए
मेरा ही दिल अभी बेगाना नहीं

पराये शहर में रहकर हमने
अभी अपनों को ही पहचाना नहीं।

आशियाने बनाए थे जो तेरे शहर में
किसी और को उन्हें अब दिखलाना नहीं

अपनापन जताते रहे लोग पराये शहर में
यहां तो अपनों ने ही हमें पहचाना नहीं।

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ह्रदय पटल पर बैठी हो मैया
मैं नित ही तेरा ध्यान करूं

वाणी जो तुमने दी मधुर-मधुर
उससे मैं तेरे ही गुणगान करूं

मस्तिष्क में बैठी जो तुम मैया
तो क्यों ना मैं अभिमान करूं

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प्रीत हो गई राधा जैसी
हाल-ए-दिल क्या बताऊं

दिल कहता, तो कह दे सब कुछ
पर जुबा पे कैसे लाऊं

मन कहता, तो लिख दें दिल की
पर कलम को कैसे सजाऊं

उथल-पुथल हो रही है मन में
कि किसको कैसे मनाऊं

कुछ ना कहूं तो भी, समझ लो तुम सब
तो 'चर्चित' मैं हो जाऊं...

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