दोनों ही आदमी थे और दोनों में फर्क था।
एक खाता था,
सोच-सोच के
दूसरा खाता था,
नोच-नोच के।-
Think "Opportunities"..
ایک تاریخ مقرر پہ__________تو ہر ماہ ملے
جیسے دفتر میں کسی شخص کو تنخواہ ملے
एक तारीख़ मुक़र्रर पे_______तू हर माह मिले..
जैसे दफ़्तर में किसी शख़्स को तनख्वाह मिले.!
اک ملاقات کے ٹلنے کی خبر ایسے لگی
جیسے مزدور کو ہڑتال کی افواہ ملے
इक मुलाक़ात के टलने की ख़बर ऐसे लगी..
जैसे मज़दूर को हड़ताल की अफ़वाह मिले.!
-
गुरुर अब भी वहीं है, बस गुमान छूटा है,
कोई जान थोड़ी ही गयी, बस दिल टूटा है ।।-
मांगा तो था हमने उसे हर "फजर" की दुआओ में,
पर शायद उसको पाने वाला "तहज्जूद" का पाबंद था।-
मोहब्बत दो दिलों में बनके ईमान रहती है,
मैं हिंदुस्तान रहता हूंँ वो पाकिस्तान रहतीं हैं...-
चला था जब मैं साथ मेरी परछाई भी थी
भीड़ के दामन में दुबकी तनहाई भी थी
किसी के घर में मातम था सन्नाटा था
वहीं किसी के घर गूंजी शहनाई भी थी
बेटी से माँ बाप का रिश्ता रब जाने
जो कल तक थी अपनी वही पराई भी थी
छोड़ मेरा घर और कहाँ जाती चिड़ियाँ
मेरे घर में पेड़ भी था अँगनाई भी थी
दुश्मन दोस्त हैं दोनों एक ही चेहरे में
जिसने बुझाई आग उसी ने लगाई भी थी
शहर का मौसम आज है कुछ बदला-बदला
शायद पछुवा संग चली पुरवाई भी थी
झूठ बोल कर बना मसीहा जब दीपक
गुमसुम-गुमसुम वहीं खड़ी सच्चाई भी थी
-
अब मान लिया कि तुम कहीं और के मुसाफ़िर थे...
मेरा घर तो सिर्फ़ रास्ते में आए थे...-
सूरज हूँ ज़िंदगी की रमक़ छोड़ जाऊँगा,
मैं डूब भी गया तो शफ़क़ छोड़ जाऊँगा।
-