bushra rehman  
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Joined 28 May 2019


Joined 28 May 2019
4 AUG 2022 AT 9:52

मुझे भी पता कब कैसे और कहां
लेकिन हम मिलेंगे ज़रूर
या तो ऊपर बादलों के बीच आसमान में
या फिर यही ज़मीन पर इस दुनिया के किसी हिस्से में
हम मिलेंगे ज़रूर

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14 JUN 2022 AT 23:34

दरमिया एक अजीब सी खामोश छा गई
एक आंधी सब कुछ तबाह कर गई

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8 JUN 2022 AT 23:06

इस बार बिखरे तो फिर कभी सम्भल ना पाएंगे
फिर हज़ारों कोशिशें भी करले कोई, फिर किसी पर यकीन कर ना पाएंगे

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30 MAY 2022 AT 21:58

उलझे रिश्तो को सुलझाने ने में लगी थी मैं
जो मेरा था ही नहीं उसको अपना बनाने में लगी थी मैं

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6 MAY 2022 AT 21:27

इश्क की बदनामी में हम उम्र भर के लिए क़ैद हो गये
और वो दोस्ती का नाम लेकर एक लम्हे में रिहा हो गए

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5 DEC 2021 AT 17:56

अजीब सी ख्वाहिशें है इस सरफिरे दिल की
अक्सर कशमकश में ये रहता है
कभी कहता है काश तुम हो ये तो अच्छा होता
तो कभी कहता है काश तुम ना होते तो अच्छा होता
न जाने कितने ग़म खुद में छुपा कर रखता है
काश ये दिल ही ना होता तो कितना अच्छा होता

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14 FEB 2021 AT 0:08

‌था वो
दो पल रुका और फिर चला गया

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4 JAN 2021 AT 13:29

जो सिर्फ किसी एक से हो वो मोहब्बत होती हैं
जो हर किसी से हो जाए उसे दिल्लग़ी कहते हैं जनाब

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1 JAN 2021 AT 12:45

Uncertainty, lessons and gratitude




Hope, love and happiness

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31 DEC 2020 AT 23:54

एक गुज़रता हुआ खुबसूरत लम्हा




एक आने वाली नई उम्मीद

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