रिश्तें अचानक नहीं टूटते!
वे दरकते हैं,
अनदेखी पर!
वे दरकते हैं,
अपमानित किये जाने पर!
वे दरकते हैं,
पीड़ा के समय प्रेम के अभाव में!
वास्तव में,
रिश्ते अचानक नहीं टूटते!
बल्कि वे धीरे धीरे दरकते रहते हैं,
उन पर पड़ती अनगिनत चोटों से!
और ऐसी ही किसी एक चोट से,
वे दरार खाए रिश्ते,
बिखर जाते हैं काँच के समान!
जिन्हें पुनः जोड़ने पर भी,
कुछ निशान ताउम्र रह जाते है.... ❤🖤🧡-
गया वो दौर ज़नाब जब लोग आपकी आंखों को पढ़ लिया करते थे। अब लोग शब्दों को नहीं समझते तो भावनाओं को खा़क समझेंगे ।
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निकलेंगे अब इस घर से हम,
मेरे दिल से ये घर न निकलेगा।
ये घर बसा है हर धड़कन में,
क्या करें हम ऐसे दिल का।
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कोई तो जगह होगी जहाँ से ना जाना होगा,
इस परिंदे का कहीं तो आशियाना होगा,
ना जाने किस शय का है मुंतजिर अब,
ना जाने किस और अब ठिकाना होगा।-
ये जिंदगी है जनाब, ये थप्पड़ वहां से भी लगवाती है जहाँ से आपको थपकी का आस हो। ये जिंदगी है जनाब, ये आपको वो हर एक हकीकत से रूबरू करवाती है जो आपने सपने में भी नहीं सोचा था।
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नादानियां झलकती है मेरे आदतों से,
मैं खुद हैरान हूं.... मैं ब्याह रचाने को राज़ी केसे हुआ?-
मैं कभी सिगरेट पीना नहीं चाहा, लेकिन मैं सिगरेट पीता हूं, मैं जानता हूं कि ये मेरे लिए एक धीमा जहर है, लेकिन इसके उड़ते धुएं में अपना उड़ता भविष्य देखता हूं, मैं उस धुएं को इस कदर अंदर लेता हूं जैसे इस जहां की सारी खुशियां अपने अंदर समेट रहा हूं, फिर बाहर करते उस धुएं को देख कर सोचता हूं की जैसे मैं खुद को खुद से ही अलग कर रहा हूं।
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कई गम छुपा रखा हूं सीने में,
पर अलग ही मज़ा है मुस्कुराकर जीने में।-
ये जाता साल बहुत दर्द दे गया, जो मेरे अपने थे उसे हमसे बहुत दूर ले गया, तिनका तिनका इस कदर बिखर गए हम, फिर कभी ना मुस्कुराए इस कदर उजड़ गए हम, मेरे बाग का फूल था वो सबनम ऐसे मुरझाया की टूट गए हम।।
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अगर जो ये हम जान पाते, कौन कितना मरता है मेरे मरने पर, फिर हम जरूर मर जाते।
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