जब भीतर दिल मे जाके लगे आह...
और मौं से निकरे वाह वाह वाह.....
समझ लो भज्जा जो कछू और नईंयाँ...
टूटी दिल की अधूरी मोहब्बत आये जा..-
जींके भीतरे मचो रेत दिन रात हडकंप,
भज्जा , फोन उनई के रउत साइलेंट।
बायरें से तो दिखात शांत और सूधरे से पर,
सई बता रये सबसे जादा वेई होत वायलेंट।-
हिंदी दिवस की शुभकामनाएं दैवे वारे
भज्जा हरों जा तो बताओ हमें के,
तुम औरन खों हिंदी दिवस के दिना ही,
हिंदी की इतनी जांदा याद काय आत!
बाकी साल के ३६४ दिना में भज्जा
जोई हिंदी का कितऊँ खों हिरा जात !
जो सबरे जा yes no I my मे गुले गूले
Hy fy अंगरेजी खां अपनी महिला मित्र बतात!-
हमने कई
काये जू का बात है आजकल तुम बड़े मुस्किया रहे!
को आय एसो ?जीसे तुम रात दिन इतेक बतिया रहे!
वे बोले भज्जा बिन ऊके ना दिन कटत न कटत रात!
का कए देख के सब भुला जात जब वो सामने आत!
हमने कई गुरु शायद नओ नओ आय तुमाओ प्यार!
हमायी तरफ से जो रुमाल रख लो काम आए यार!
जब न दवाई लगे न दुआ ,हो जों तुम निक्कमे बेकार!
कायिकि गुरु भौतई जल्दी उतरने तुमाओ जो बुखार!-
सुनो भज्जा भूल के भी न जयियो तुम
कभऊँ भी जो बकवास प्रेम की गैल!
कायेकी न तो है इते कोऊ सूधरी गईया
और न है इते कोऊ बिना सींग को बैल!
कोई के मन में कम कोऊ के में ज्यादा
पर है सबके ही मन में इते मैल ही मैल!
और नईंया हमपे विश्वास तो करके देख लो
दो चार दिना में खुदयी केन लगो गो टू हैल!-
इश्क़ अगर थी खता तो
क्यों किया तुमने ये गुनाह
हम तो चले ही गए थे ना
फिर क्यों दी हमें पनाह
तोड़कर ये दिल हमारा
न इतना तुम मुस्कुराओ
तुम बिन अब जाएं कहां
हमें ये अब तुम ही बताओ
नहीं समझ आता दिल को
इसे अब तुम ही समझाओ
तुम बिन अब जाएं कहां
हमें ये अब तुम ही बताओ-
ना जाने कैसी है ये कशिश तुझमें,
कि तेरे सिवाय न अब कोई भाए!
बसी है तस्वीर तेरी इन आँखोंं में,
तुझे ही ढूँढती हर पल मेरी निगाहें!
ज़ुबां पर नाम जेहन में ख्याल तेरा,
तुझ बिन अब ये दिल चैन न पाए!
हाँ जानूँ मैं तू है किसी और का पर,
पागल दिल को अब कौन समझाए!
ये तो मर मिटा है तुझ पर ही इस कदर,
तुझको ही अपनी जमीं आसमां बताएँ!
बेशक तू चाहे किसी और को पर जाना,
तुझ पर निसार मेरा ये दिल तुझे ही चाहे!-
वैसे तुम का हमेशयी करत हों, इतनी बकवास जे!
के आज कछु ख़ास है या फिर तुमाओ रेत उपास है!
जो जब देखो तबयी, आके हमाओ दिमाग खात है!
काय जू हम का तुम्हें,कौनऊ फल फलूट से दिखात हैं!
🙄🙄🙄🙄🙄🙄🙄🙄🙄🙄🙄🙄🙄🙄-
बड़े गंभीर से होके वे बोले हमसे
भज्जा जो ज़िंदगी सर्कस आय
हमने कई और तुम आओं जोकर!
अब तो बत्तीसी दिखाई दो अपनी
की के इशारे को इंतजार कर रहे
के दांत नहीं मांजे का मौ धोकर!
😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂😂-
ना चैत्र न आषाढ़ न ज्येष्ठ न भादों न कार्तिक,
हैं घनघोर बरसत सावन हम!
क्रोध से जिनके कंपित धरा,
वे परशुराम के वंशज,हैं बुंदेलखंडी वामन हम!!-