जब मैं लोगों के साथ होता हूँ तो अक्सर अकेला होता हूँ क्योंकि जब मैं अकेला होता हूँ तो लोगों के साथ होता हूँ
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खुद की नजरों में बहुत बुरा हैं वो शख्स,
और बताओ, उससे अच्छा कौन होगा।-
जब कभी आसमान की तरफ देखता हूं कि सोचता हूँ कि यह जो अनन्त फैला आसमान हैं वो सिर्फ सिमटा हुए सा होता तो क्या खूबसूरत होता।शायद नही, बिखराव ही सुंदरता को बढ़ाता हैं ठीक वैसे ही तुम्हारे बिखरे हुए टिमटिमाते तारों से बाल और तुम्हारा वो चांद सा तिल इसलिए कहता हूं कि तुम्हारा चेहरा आसमान सा हैं।
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अक्सर आसमान में चाँद मुझे निराश और बेजान सा लगता हैं।चाँद पा लेता हैं सभी आंखों का प्यार और उम्मीद, आसमान अक्सर अकेला रह जाता हैं।
पर सुनो मुझे चांद अच्छा नही लगता हैं,हाँ मुझे चाँद से ज्यादा आसमान से प्यार हैं।किसी उदासी भरी रात में आसमान को टूटे आशिक़ की तरह उलझा और अनंत ख़यालो से भरा पाता हूँ।आसमान भी किसी आशिक सा हैं इसमें किसी के लिए टूट कर ख्वाइशें पूरी करने वाले तारें हैं,खुद जलकर किसी और को रोशन करने वाले पत्थर हैं,किसी टूटे हुए इंसान सी शांत और ठहरी हुई आकाशगंगाएं हैं।
आसमान की अनन्ता अक्सर दे जाती हैं उम्मीदे और हर हाल में जीवित रहने की जिजीविषा।
इसलिए में कहता हूं कि तुम चाँद नही हो,
तुम तो आसमान हो मेरा।
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नाराज हूँ,हताश हूं,परेशान हूँ और निराश हूँ मैं,
यह सब तो ठीक ही हैं पर अभी भी जिंदा हूं मैं।-
मुझे एक अफसाना चाइये उसे बताने के लिए,
की अब एक जमाना चाइये उसे भुल जाने के लिए|-
ऐ-ज़िन्दगी तुझसे कभी मोहब्बत तो नही रही,
बस तू गम देती रही और मोहब्बत होती रही।-