वो थोड़ी मासूम है और थोड़ी पगलों की तरह पर मेरी निकाल वो जान लेती है
वो कहती है मुझे दूर से कम दिखाई देता है पर मुझे वो दूर से ही पहचान लेती है-
मतलब हो तब आता है मतलब हो तब जाता है तू मुझे बस एक बहता दरिया समझता है
और ज्यादा कुछ नहीं मैं तेरे लिए तू मुझे बस अपनी शायरी लिखने का ज़रिया समझता है-
वो चिठी वाला भी क्या ज़माना हुआ करता था जब लोग अरसों तक जवाब का इंतज़ार किया करते थे और आज एक दिन मैसेज का जवाब ना दो तो लोग रिश्ता ही बदल लेते है...✍🏻
-
ऐसी मोहब्बत की शुरूआत में यह सारी दुनिया वाले ही हंसते है...
पर जहाँ दो दिल मिले वहाँ यह उम्र के फासले मायने नहीं रखते है...-
आज कल मुझ में एक बड़ी आफत ने जगह ले ली है
हर किसी में तुझको ढूंढने की आदत ने जगह ले ली है-
वो सब कुछ भी तू समझ जाता जो ना मुझसे जाहिर होता
माशाल्लाह कितना अच्छा होता के तू भी एक शायर होता-
तुझे शायद लगता हूं पर मैं ऐसा वैसा बंदा नहीं हूं
बाहर से थोड़ा दिखता हूं पर अन्दर से गंदा नहीं हूं-
सच में ऐसा कुछ होता तो फिर मैं ही नहीं यह सारा जग डरता
अगर कसम खाने से ही कोई मरता तो सबसे पहले रब मरता-
आजकल नशा मेरा कुछ ज्यादा है क्या
मेरे बिना दिल तुम्हारा भी आधा है क्या
इन दिनों मुझे देख यूं बड़ा मुसकुराते हो
क्यों फिर से दूर जाने का इरादा है क्या-
आज बस यूं ही वक़्त की किताब खोल बैठा मैं...
और देखा के तुम कितने बदल गये चेहरे से भी और दिल से भी...-