कभी लड़की बन कर देखना परेशान होकर रोने लगोगे...
कभी लड़का बन कर देखना परेशान तो रहोगे लेकिन रो तक नहीं पाओगे....-
Its my own thaught😊
I'm new....here...☺️
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सुनो...
मैं फोर्स में हूं...अगर मुझे कुछ हो जाए तो तुम घबराना
मत...और न ही रोना...मैं मरूंगा नही..हमेशा अपनो के साथ रहूंगा ...अपने इसी देश में इसी प्रदेश में और उन्ही अपने गावों में मंदिरों में ..जहा हम तुम साथ पूजा किया करते थे...मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा..
तुम बस ख्याल रखना अपना...और अपने परिवार का
खास कर मां पापा बहन भाई का...कभी ये मत सोचना की मैं साथ ना हूं...तुम बस अकेले में अपनी आखें बंद करना.. मैं आऊंगा हवाओं के चादर में लिपटे हुए तुम्हे छुऊंगा... तुम्हारी बिखरी जुल्फों को सुलझाऊंगा..
फिर हमेशा तुम्हारे पास रहूंगा और अपने परिवार के भी.. तुम बस ये अहसास न दिलाना की मुझे कुछ हुआ है...बस खुश रहना और तुम्हे खुश देखकर मैं...❤️-
आज न्यायालय पेशी ड्यूटी के दौरान..
वो मुल्जिम जिसको न्यायालय पेशी के बाद पुनः वापस जेल जा रहा था पुलिस गाड़ी की खिड़की छोटी सी थी उसी दूर से पत्नी और उसकी नन्ही बच्ची उसे देखकर रो रहे थे और वो भी..शायद इसलिए कि दोनो को मिले ज्यादा दिन/महीने/साल हो गए होंगे.. बस देख ही पाए छोटे तारो से बंधे विंडो से दूसरे को..ना ही एक दूसरे से मिल सकते थे और न ही वहा बातें कर सकते..
वो आंसू बहुत कुछ कह रहे थे.ये की तुम बच्चो का और अपना ख्याल रखना मैं जल्द सजा काटकर आऊंगा.और एक तरफ के आंसू ये जाहिर कर रहे थे की आप घर का टेंशन न लो मैं कही न कही से बच्चो को पाल लूंगी.दूसरो के यहां काम करके..
और वो नन्ही बच्ची जो पिता जी का घर लौटने का रोज शाम इंतजार करती होगी..जो रोज शाम काम से लौटने के बाद टॉफियां कॉपी पेन लाया करते थे उसको गोद में खेलाया करते थे.. उसके नन्ही सी आंखों में भी आंसू थे..और छोटी सी दिमाग में तमाम प्रश्न...
मेरे मन में भी तमाम प्रश्न आए...लोग आवेश में आकर बड़ी गलतियां करते क्यूं है?? क्या एक दूसरे को मारना न्याय था??
क्या कोई मामलों को आपस में नही सुलझा सकते थे??
अगर सुलझा लेते तो कई जिंदगियां हसीन हो जाती
और वो प्यारी नन्ही बच्ची भी खुश होती पिता के परछाई के छांव में...
Moral:अगर गलती करेंगे तो सजा तो मिलना ही है
जिसका भुगतान आपके साथ साथ पूरा परिवार करेगा
अच्छे से परिवार के साथ रहिए
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कुछ पा लेने के बाद जब हम एक ग्लास ठंडा पानी पीकर सुस्ताते हैं तब याद आता है कि हमारा वो एक हिस्सा खो गया जो इतना कुछ पाना चाहता था। चलते-फिरते हम रोज कितना कुछ खोते जा रहे हैं कि याद ही नहीं आता है कि कब बैठकर हमने आसमान में तारे गिने थे। कब आखिरी बार अपनी एक हाथ की उँगलियों को दूसरे हाथ की उँगलियों से छुआ था। कब बिना बात के ऐसे ही अपने मोबाइल पर किसी बिसरे हुए दोस्त को बिना किसी काम कॉल किया था, दोस्त जो अब थोड़ा अजनबी हो चुका है। कब शोर के बीच हमने किसी चिड़िया की आवाज को बचाने की कोशिश की थी। कब हमने 12 महीने के बच्चे के जैसे धूप को कमरे में झाँकते हुए देखकर चौंके थे। कब डूबते सूरज के साथ दस रुपये की मूँगफली खाई थी। कब रात भर बातें की थीं। कुछ पा लेने की राह पर रोज भागते हुए भूल ही जाता है कि अपने खोए हुए हिस्से को बचा लेना ही असली पाना है। हम शाम होने तक अपने पीछे एक पूरी दुनिया खोकर घर लौटते हैं। दिन ऐसे खाली होकर साल हो जाते हैं।
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कितना बदनसीब होंगे न वो दोनो प्रेमी...
जो एक दूसरे को बहुत चाहते & प्रेम करते हो...
और शादी ना हो पाती है....
एक की कही और तो एक की कही और
शादी हो जाती है....
धरती गोल है तो फिर कही ना कही मिलेंगे ...
कही न कही फिर एक दूसरे को देखेंगे...
हो सकता है उनमें से कोई एक बहुत परेशान रहे जिंदगी से...
पूरी जिंदगी भर इसलिए की उसकी बंधन किसी गलत
व्यक्ति से बंध जाए जो उसका ख्याल न रखे..
जैसा कि दोनो ने सपने देखे थे...
सोचते होंगे ना काश एक मौका और मिल जाता
तो दोनो जिंदगिया बर्बाद होने से बच जाते...
:-कृपया आप वो मौका ना गवाइएगा एक बार और प्रयास करिएगा जरूर🙏❤️-
मैं रहना चाहता हूं..
तुम्हारे साथ क्योंकि
मुझे पता है कि
बच जायेगा मेरे अंदर का कवि
तुम्हारे साथ।
मैं होना चाहता हूं बूढ़ा
तुम्हारे साथ क्योंकि
मुझे पता है कि
बच जाएगा मेरा कौतूहल
तुम्हारे साथ।
मैं हर साल तुम्हारे साथ होना चाहता हूं,
क्योंकि
मुझे पता है कि
मेरे में जो भी है
वो बस बच सकता है बस तुम्हारे साथ।
क्योंकि इतना सब कुछ
मैं नहीं बचा सकता अकेला...
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पैर खोलो तो धरती अपनी
पंख खोलो तो आसमां..
पैर अपनी पंख अपनी चलो दौड़ो चाहे उड़ो...
पा लो अपने सपनों का जहां..
ना है तुझे हारना कभी ना तुझे रुकना या थकना कभी,
जब तक पाकर मंजिल बना न लो अपना प्यारा सा आशियां
तुझसे कितनो की आस हैं....
मां बाप व बड़ों के स्नेह तुम्हारे पास है...
फिर क्या सोचना कभी...
फिर क्यों रुकना कभी...
छू ले पर्वत की ऊंचाइयों को और बना ले अपना नाम
जलने वाले जलते रहेंगे करता रह अपना तू काम...
करना है तुझे कुछ अपनो के लिए
लड़ना है तुझे अपने सपनो के लिए...
मरना नही बिना तुझे बिना नाम किए
चल उठ, दौड़, लड़ और जारी रख अपने उड़ान को
एक दिन आएगा जब छुएगा तू आसमां को....-
हमसे ना कट सकेगा अंधेरो का ये सफर,
अब शाम हो रही है मेरा हाथ थाम लो..-
सुनो बाबू मोशाय....
मै ना ऐसी घिसीपिटी जिंदगी नहीं जीना चाहता हूं...
और ना ही हम ऐसी नौकरी करना चाहता हूं..
जिसमें अपने परिवार, दोस्त, साथी-समाजी से बातचीत या पहले से जुड़े संबंध नही बरकरार रख पाऊं
और खुद के लिए थोड़ा स्वतंत्रता से जीने का समय ही न मिले.....
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