Brij Shyam   (...Brij)
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Joined 5 November 2018


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11 DEC 2021 AT 22:07

मुझे लगा था कि मैं कुछ हद तक सुलझ गया हूँ।
पर एहसास-ओ-खबर है कि और ज्यादा उलझ गया हूँ

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16 SEP 2021 AT 15:50

ग़ालिबन मौसम भी आजकल सनम की हिमायत में है
मैं ज़रा सा नाराज़ क्या हुआ शहर में सैलाब उमड़ पड़ा।

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13 SEP 2021 AT 1:36

I wish
I never existed!

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12 SEP 2021 AT 23:29

ऐ खुदा! अंजाम-ए-क़यामत दरकिनार रखना
इश्क़ की ये रवानी दरमियाँ बे-शुमार रखना
बेशक़, सूरज बुझे, दरिया जमे, हवा थमे पर
मेरे सनम के लबों की हँसी बरकरार रखना...

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11 SEP 2021 AT 10:00

बड़े मोहब्बत से तुझसे मैंने मोहब्बत की है,
कुछ इस कदर हमने जानां सोहबत की है।
पाँव में छाले पड़े, टूट जायें, दरिया आये,
चलूँगा उसी राहे-इश्क़ जिसकी ज़ियारत की है।।

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10 SEP 2021 AT 12:28

'शफ़क़' पढ़ा जो हमने, इक कहानी में था,
शख्स डूबा जो दरिया में जावेदनी में था।
वो बोले कि इश्क़ हद में रह कर करो 'बृज',
उन्हें पता नही शायद मैं किस रवानी में था।।

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10 SEP 2021 AT 11:55

ऐ वक़्त! मेरी खातिर इक खता करेगा क्या?
कुछ ऐसे लम्हे, मुझ काफ़िर को अता करेगा क्या?
खींच सकूँ मैं आसमाँ में मेरे एहसासों की तस्वीर,
नाज़रीन हो मेरा दिलबर, बता करेगा क्या ???

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19 JUL 2021 AT 19:12

बहक जाया करता है ये दिल अक्सर उन परिंदों पर
जिन्होंने आँख उठाकर कभी आसमान नही देखा।

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19 JUL 2021 AT 19:00

अक्सर इन बातों ने मुझे भरमाया बहुत है।
कि सामने वाला शख्श कुम्लाया बहुत है।।

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9 JUL 2021 AT 20:46

मोहब्बत में अक्सर हम भूल जाते है,
कि रौंदे भी हमेशा ही 'फूल' जाते है।

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