मुझे लगा था कि मैं कुछ हद तक सुलझ गया हूँ।
पर एहसास-ओ-खबर है कि और ज्यादा उलझ गया हूँ-
दरिया पार भी करनी है, और डूबना भी नही है।...
👇😊
कोई शायर नही मैं पर जज़्बा... read more
ग़ालिबन मौसम भी आजकल सनम की हिमायत में है
मैं ज़रा सा नाराज़ क्या हुआ शहर में सैलाब उमड़ पड़ा।-
ऐ खुदा! अंजाम-ए-क़यामत दरकिनार रखना
इश्क़ की ये रवानी दरमियाँ बे-शुमार रखना
बेशक़, सूरज बुझे, दरिया जमे, हवा थमे पर
मेरे सनम के लबों की हँसी बरकरार रखना...-
बड़े मोहब्बत से तुझसे मैंने मोहब्बत की है,
कुछ इस कदर हमने जानां सोहबत की है।
पाँव में छाले पड़े, टूट जायें, दरिया आये,
चलूँगा उसी राहे-इश्क़ जिसकी ज़ियारत की है।।-
'शफ़क़' पढ़ा जो हमने, इक कहानी में था,
शख्स डूबा जो दरिया में जावेदनी में था।
वो बोले कि इश्क़ हद में रह कर करो 'बृज',
उन्हें पता नही शायद मैं किस रवानी में था।।-
ऐ वक़्त! मेरी खातिर इक खता करेगा क्या?
कुछ ऐसे लम्हे, मुझ काफ़िर को अता करेगा क्या?
खींच सकूँ मैं आसमाँ में मेरे एहसासों की तस्वीर,
नाज़रीन हो मेरा दिलबर, बता करेगा क्या ???-
बहक जाया करता है ये दिल अक्सर उन परिंदों पर
जिन्होंने आँख उठाकर कभी आसमान नही देखा।-
अक्सर इन बातों ने मुझे भरमाया बहुत है।
कि सामने वाला शख्श कुम्लाया बहुत है।।-
मोहब्बत में अक्सर हम भूल जाते है,
कि रौंदे भी हमेशा ही 'फूल' जाते है।-