Brij Mohan Chaurasia   (Brijम)
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Joined 28 October 2018


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22 JAN 2022 AT 23:28

'तैरना' सिखा दे यारा मुझे..
'डूबना' तो मैं कब से जानता हूँ..।

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15 JAN 2022 AT 21:08

बचे कितने हैं अरमान पीछे जिनके भागते रहूँ मैं
सोने से डर लगता है मुझे, अब के जागते रहूँ मैं

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7 JAN 2022 AT 13:17

बने फिरते हैं क़ौम-ए-ज़ाहिद और छिपे बैठें हैं नकाबों में..
इन्हें जब दर्द भी नही होता तब भी ये करहा लेते हैं ..।।

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16 DEC 2021 AT 23:33

मानकर मोहब्बत को ख़ुदा..
वो काफ़िर कह गया था मुझे..!!

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4 NOV 2021 AT 14:52

शुभ दीपोत्सव
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हर दीपों का तुमको, मान मिले
हर चेहरे से तुमको सम्मान मिले

हो गणपत के चरणों से सुबह
माँ शारदा से मस्तक को अभिज्ञान मिले

हो 'राम' नगर दिल का हर कोना
हर कर्मों में माँ लक्ष्मी विद्यमान मिले

निज तेज़ प्रताप से तम दीपक कर दो
इंसानों में तुमको भगवान मिले

बदल सको तुम यूँ अपनी छाया
के हर चेहरे से तुमको सम्मान मिले

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30 SEP 2021 AT 23:47

ख़ुद से ही कर गुफ़्तगू, मैं रातें काटता हूँ
कभी-कभी ज़मानों बाद भी सवेरा नहीं होता

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15 SEP 2021 AT 21:15

सबसे आसान था प्रेम करना..!
उससे..
जो मन से हमेशा साथ था..!!
मगर जब था वो..
तन-मन से दूर..
सबसे मुश्किल था..
उसे प्रेम करना..!!

'बृज' मोह न रहा होता..
तो तू बंसी तोड़ ही न पाता..!
क्योंकि सबसे मुश्किल था..
'प्रेम का' हो जाना..।।

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9 SEP 2021 AT 16:49

फ़रेबियाँ करते हैं, फिर छुपाते हैं लोग
रंग अपना बदलकर, मुस्कुराते हैं लोग

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13 AUG 2021 AT 20:34

साँसें बंद पड़ीं हैं कब से, अब आस होगी क्या !
हर ज़र्रे में तो बिखरा हूँ फिर शुरूआत होगी क्या ¡

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6 AUG 2021 AT 23:22

ग़ैर सा हुआ ख़ुद से भी, ना कोई मेरा
दर्द से कर ले चल यारी दिल ये कह रहा

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