बर्ग-ए-शफ़क़   (ऋतु)
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Joined 25 January 2020


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Joined 25 January 2020

कुछ तो असर है उसकी बातों में,
यूँही नहीं कोई दिल हार जाता।

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मेरी ही तरह थोड़ी सूख गई है,
नवीनता नहीं रही उसमें भी,
उमर की इक कत्थई मोटी परत चढ़ गई है,
मुस्कुराहटों की जगह अब दर्द और दवाएं हैं,
दबी कुचली सुबकती कलाएं हैं,
फिर चाहे वो मेरी लेखनी हो या नृत्य कला,
अब सब अतीत की पन्नों का हिस्सा हैं,
जहाँ कभी काव्य महफ़िल सजतीं थीं,
वो बज़्म अब सिर्फ कहानी है, किस्सा है,
वो कविता जो हरी भरी थी,खुशहाल थी,
अब वो मुझसी कमज़ोर और बदहाल है,
हाँ! वही मेरी पुरानी कविता..

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खुल के रोना सच्चा होता है,
होते हैं दिन अनमने और रातें तन्हा,
फिर भी यादों में मुस्कुराना अच्छा होता है।

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वस्ल के किस्से भी यहाँ अब आम हुए हैं,
खुदाया तिरी दुनिया में अब,रूहों के भी जिस्मों से दाम हुए हैं।

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ये तो कानाफूसी करता है,
पंचायत करवाता है,
खानसामा बनाता है,
मसालों का निरीक्षण करवाता है,
एहसासों को धीमी आँच पे चढ़ा के,
कसमे, वादे, वफ़ा का तड़का लगता है,
रुकता है, ठहरता है, भीनी भीनी खुशबू में,
रीति रिवाज़ों का घी उड़ेलता है,
उस पर कहाँ मानता है,
समाज़ की दुहाई,मिर्ची का सालन बनती है,
और बुरक देता है धनिया,दूरियों का,
और फिर सजता है थाल,
मोहब्बत-ए-बिरियानी का,
जिसकी महक हर गली मोहल्ले में फैलती है,
सच ही तो है इश्क़ छुपता नहीं है..

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In faded hues, a glimpse of time,
An old photograph, a silent chime. Childhood dreams, youth's vibrant bloom,
In sepia tones, memories loom.
Faces weathered, smiles preserved,
Innocence and laughter observed.
Time's gentle touch, a tender embrace, Captured moments, a cherished grace.
Each crease, a tale, each line, a story,
In cheerful auburn aura,a timeless glory.
Through the lens of time, we see,
The essence of life's symphony.

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ऐसी होगी वैसी होगी,
सितार बज उठेंगे
और बदन में सिहरन सी होगी,
कितने ही किस्से कहानियों में,
बचपन से सुना और पढ़ा है,
मोहब्बत का ये अनूठा अफसाना,
पर असल में जब ये होती है,
ज़िंदगियाँ बदल जाती हैं,
दर्द और खुशी लुकाछुपी खेलने लगते हैं,
साँसें और तक़दीर तराज़ू में तौलती है,
रूह और जिस्म के सौदे भी होते हैं,
और मोहब्बत तड़पती है इख़्तियार को,
कभी कभी सतरंगी सी लगती है,
कभी कहानियों सी दिखती है,
पर जब भी मोहब्बत होती है,
अजनबी सी ही लगती है..

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कोई कैसे क़ाबू करे दिल को,
चूम के रुखसार को, ये झुमके,
देखो कैसे इठला रहे हैं,
अटक रहे हैं बालों में,
और दिल पे खंजर चला रहे हैं।

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Words may be interpreted, but actions speak volumes without need for translation.

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आसान नहीं है,
ऋतु का ऋतु होना..
हर रोज़ मरना,
हर रोज़ मुस्कुराना..

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