सैलाब को कभी तूफान बनते देखा?
तूफान को कभी थमते देखा?
पहाड़ को कभी चलते देखा?
नदी को कभी रुकते देखा?
कभी आसमान में उड़ते देखा?
चलती कश्ती से उतर के देखा?
देखने को क्या कुछ ना देखा?
कभी ख़ामोशी को शोर मचाते देखा?
कभी राजावत की कलम को लिखते देखा?-
सफ़रनामा😎 क्षत्रिय 🕉️
👇🏼ये पूरी कहानी नहीं, महज़ एक हिस्स... read more
कुछ लम्हों को याद किया करो🔻
तो कुछ ताज़्जुब को भुला दिया करो!
जो आज है उसे स्वीकारा करो🔺
अतीत पर महफ़िल जमाया ना करो!-
'राजावत' खंडहर नहीं बवंडर बना करो,
मंजर-ए-हादसों पर हौसला रखा करो!-
एक कली का मुस्कुराते हुए खिल जाना जायज़ है,❣️
खिले फूल को ख़ुद के मतलब तोड़ना नाजायज़ है!🌺-
साथ रहकर भी साथ ना दिया,🎴
फिर हमसफ़र को मैंने सफ़र में ही छोड़ दिया!-
क्या कुछ संभालें रखें, वज़ह नहीं♦️
कोई अपना बना रहें, अब परवाह नहीं-
तेरी ख़ामोशी का राज है हम,🌺
मुझे पता है, मेरी प्रीत हो तुम!🥀-
👐🏼❣️👐🏼
किसी सफ़र में मिल जाना तुम,
किसी अनचाहे बसेरा की तरह!
तुम हिचकिचाना मत, यूँ देखकर,
साथ ले जायेंगे तिज़ोरी की तरह!
हम ताउम्र महफूज़ रखेंगे सनम,
बंधन में पिरोए रखना मोती की तरह!-
तस्वीरों में यादें रह जाती है, 🔺
एक झोंके में ख़्वाहिश ढल जाती है!-
गलती बताने वाला भी, गलत लगता है,🎴
इंसान को फ़रिश्ता भी गुनहगार लगता है!-