सुबह की बेला आयी , आशा की किरणें लायी
खुशियाँ मुखड़ों पर उम्मीद लिए ,
किसी से मिलने की कोई दीद लिए
कुछ रीत लिए , कुछ प्रीत लिए
कुछ नए सुरों का गीत लिए
कितने मन को हर्षायी
सुबह की बेला आयी
तम के विकार से बाहर आकर ,
कोई खुद में अपनों को पाकर
कुछ रंज,द्वेष कुछ लोभ -मोह
कोई इच्छाओं को ना कर
कोई मतवाले से मन को ,
डटकर फटकार लगायी
सुबह की बेला आयी
खग कलरव करते मधुर -मधुर
कुछ पास-पास कुछ दूर-दूर
कोई अपने संगी बोल रहा,
कोई खुद के मस्ती डोल रहा
कोई कू-कू करके अपने ,
प्रिय को आवाज लगायी
सुबह की बेला आयी
कलियों की शोभा है न्यारी ,
करते सब खिलने की तैयारी
उन्हें देख मन आनंदित क्यारी क्यारी
यह दृश्य देख दिल बलिहारी
नव भोर की बदरा छायी
सुबह की बेला आयी
शुभ प्रभात 😊😊
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